Book Title: Devta Murti Prakaran
Author(s): Vinaysagar, Bhagvandas Jain, Rima Jain
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 183
________________ देवतामूर्ति-प्रकरणम् 14 तत्पुरुष पीताम्बरधरं देवं पीतयज्ञोपवीतिनम्। मातुलुङ्गं करे वामे अक्षसूत्रं च दक्षिणे ॥ १३ ॥ तत्पुरुष देव पीले वस्त्र वाले, पीली जनेऊ वाले, बायें हाथ में बीजोरा और दाहिने हाथ में. अक्षसूत्र को धारण करने वाले है। Tatpurush Tatpurush is clad in yellow robes and wears a yellow yagnopveetinam. In his left hand is a citron (matulunga) and in his right a string of prayer-beads (akshasutra). (13). ईशानदेव शुद्धस्फटिकसंकाशं जटाचन्द्रविभूषितम्। त्र्यक्षं दक्षे त्रिशूलं च वामहस्ते कपालिनम् ॥ १४ ॥ शुद्ध स्फटिक जैसी सफेद कान्ति वाला, नटा में चन्द्र धारण करने वाला, तीन नेत्र वाला, दाहिने हाथ में त्रिशूल और बांये हाथ में कपाल धारण करने वाला है। Ishan - Ishạn has the brilliance of pure crystal. The moon adorns his matted locks. He has three eyes and holds a trident in his right hand and a skull cup (kapal) in his left. (14). मृत्युञ्जय कपालमालिनं श्वेतं शशाङ्ककृतशेखरम् । व्याघ्रचर्मधरं भद्रं नागेन्द्रासनभूषितम् ॥ १५ ॥ त्रिशूलं चाक्षसूत्रं च कारयेद् दक्षिणे करे। कपालं कुण्डिका पाशं योगमुद्रा करद्वये ॥ १६ ॥ मृत्युञ्जय देव कपालों की माला धारण करने वाला, सफेद रंग वाला।

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