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देवतामूर्ति-प्रकरणम्
पूर्व दिशा के द्वारपाल
तर्जनीं शङ्खचक्रं च दण्डं प्राग्दक्षिणक्रमात् ॥१११ ॥ . चण्डाभिधानकः प्रोक्तोऽस्यापसव्ये प्रचण्डकः ॥ वामे चण्ड: प्रकर्त्तव्य: प्रचण्डो दक्षिणे तथा ॥११२ ॥
तर्जनी, शङ्ख, चक्र और दण्ड को दाहिने हाथ से धारण करने वाला; चण्ड नाम का द्वारपाल है। शस्त्रों को बाँये हाथ में रखने से प्रचंड नाम का द्वारपाल है। इनमें पूर्व दिशा की बाँयी ओर चण्ड को और दाहिनी ओर प्रचण्ड की स्थापना करना।
They are all dwart-like in appearance like Vamaq, and are very auspicious and lucky in every way.
Holding, in the order of pradakshina or circumambulation (i.e. left to right), a raised. foresinger (tarjani), a conchshell, a disc and a danda (111), is the guardian, called Chand. Holding the same attributes as Chand but in the reverse order is Prachand. Chand stands to the left and Prachand to the right of the eastern portal. (112). दक्षिण दिशा के द्वारपाल
पद्मखड्गं खेटकं च गदां तेषु प्रदक्षिणे। विलोमैः पद्मगदयोर्जयो विजय दक्षिणे ।११३ ॥
पद्म, खड्ग, ढाल और गदा को प्रदक्षिण क्रम में धारण करने वाला बाँयी ओर जय नाम का द्वारपाल है। पद्म के स्थान में गदा और गदा के स्थान में पद्म को बाकी शस्त्रों को पूर्ववत् धारण करने वाला विजय नाम का द्वारपाल दक्षिण तरफ स्थापन करना।
Holding a lotus, sword, shicld and mace respectively in the pradakshina order stands Jai, while holding the same attributes in the opposite order (i.c. mace in place of a lotus and so on) stands Vijay. They guard the southern door, Jải standing to the left and Vijay to the right of the door. (113).