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एक उदारमना व्यक्तित्य : श्री भूपेन्द्रनाथ जैन
डॉ० अरुण प्रताप सिंह
मैंने जब सन् १९७५ में पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान में शोध-छात्र के रूप में पञ्जीकरण कराया था तब उस समय श्रीमान् हरजसराय जी जैन संस्थान के मन्त्री थे । वे अत्यन्त दयालु, धर्मनिष्ठ एवं सामाजिक कार्यों हेतु समर्पित एक सुश्रावक थे। उन्होंने जैन विद्या के विकास के लिये अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ।
श्री हरजसराय जी के दिवंगत होने के पश्चात् उनके सुयोग्य पुत्र श्रीमान् भूपेन्द्रनाथ जी ने मंत्री के रूप में संस्थान की बागडोर सम्भाली और अपने सत्प्रयासों से संस्थान को पार्श्वनाथ विद्यापीठ के रूप में विकसित करके श्रमण विद्या के विभिन्न शाखाओं में शोध के लिये एक नवीन मार्ग प्रशस्त किया है ।
श्री भूपेन्द्रनाथ जी अत्यन्त सरल एवं उदार व्यक्तित्व के धनी हैं । कुल क्रमागत धार्मिक निष्ठा उन्हें विरासत में मिली है और यही कारण है कि वे विद्यापीठ के सतत् विकास हेतु पूर्णतः समर्पित हैं। पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा उनके सम्मान में आयोजित समारोह के अवसर पर मैं यह मङ्गलकामना करता हूँ कि उनका विद्यानुराग उत्तरोत्तर वृद्धिगत होता रहे।
*प्रवक्ता, इतिहास विभाग, एस० बी० डिग्री कालेज, बलिया। (उत्तर-प्रदेश)
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