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तनाव : कारण एवं निवारण
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प्रकार जैसे मृग अपनी नाभि में स्थित कस्तूरी की सुवास का वन-वन है। कभी हिंसा की भावना आती है तो कभा प्रतिशोध की । घटना कुछ में खोजता है, पर्वत और कन्दराओं में ढूंढ़ता है, लेकिन अपने भीतर भी नहीं होती लेकिन बदले की भावना लम्बे समय तक चलती रहती नहीं झाँक पाने के कारण कष्ट पाता रहता है । इसी सन्दर्भ में है। व्यक्ति अपनी पूरी शक्ति इसी में लगा देता है और यही तनाव का कबीरदासजी ने भी कहा है .२३
कारण होता है। 'कस्तूरी कुण्डल बसै, मग ढूंढे बन माहिं ।
रौद्रध्यान से उत्पन्न भावनात्मक तनाव चार स्थितियों में उत्पन्न तैसे घट-घट राम हैं, दुनिया देखे नाहिं ।।' होता है .
इसी प्रकार मानव भी लोभ के वशीभूत, सुख की खोज में (१) हिंसानुबन्धी ___- हिंसा का अनुबन्ध, अमूल्य मानव भव को तनाव से ग्रसित कर लेता है, लेकिन उसे सुख (२) मृषानुबंधी - झूठ का अनुबन्ध, नहीं मिल पाता है।
(३) स्तेयानुबन्धी • चोरी का अनुबन्ध और, पारिवारिक तनाव- लोभ की वृद्धि के कारण ही परिवार (४) संरक्षणानुबंधी - परिग्रह के संरक्षण का अनुबन्ध । में तनाव उत्पन्न होता है। पिता-पुत्र में, भाई-भाई में, सास-बहू में और ये चारों ही स्थितियाँ तनाव उत्पन्न करती हैं । शारीरिक तनाव यहां तक कि पति-पत्नी में भी लोभ व अविश्वास उत्पन्न होने के कारण एक समस्या है तो मानसिक तनाव उससे उग्र समस्या है और भावनात्मक प्रतिदिन लड़ाई-झगड़ा, मनमुटाव, द्वेष, ईर्ष्या आदि के कारण तनाव तनाव तो विकट एवं भयंकर समस्या है । इसका परिणाम मानसिक बढ़ता जाता है । यदि परिवार में सन्तोष व्याप्त हो तो तनाव की स्थिति तनाव से भी ज्यादा घातक है। ही उत्पन्न नहीं होती है।
चार्ल्सवर्थ और नाथन ने भी अपनी पुस्तक 'स्ट्रेसमैनेजमेंट' विश्वव्यापी तनाव- व्यक्तिगत और पारिवारिक तनावों का (Stress Management) में तनाव के प्रकारों का उल्लेख किया है। विस्तृत रूप ही समाज और विश्व में देखने को मिलता है । असन्तोष, जिनका यहां पर केवल नामोल्लेख किया जा रहा है। तनाव के ये प्रकार लोभ, अविश्वास ही संघर्ष उत्पन्न करने के मूलभूत कारण होते हैं । आज निम्नलिखित हैं। सत्ता और समृद्धि का मोह, छोटे राष्ट्रों का बड़े राष्ट्रों की तरह बनने की भावनात्मक तनाव (Emotional), पारिवारिक (Family), होड़, बड़े राष्ट्रों में शक्ति विस्तार की भावना, साम्राज्यवाद की स्पर्धा जैसे सामाजिक (Social), परिवर्तनात्मक (Change), रासायनिक अनेक कारण एक राष्ट्र को दूसरे राष्ट्र के प्रति संदिग्ध बना रहे हैं, जिसके (Chemical), कार्य का तनाव (Work), निर्णयात्मक (Deciकारण विश्व में तनाव बढ़ रहे हैं।
sion), रूपान्तरित (Commuting), भय (Phobic), शारीरिक युवाचार्य महाप्रज्ञ ने भी तनाव के तीन प्रकार बताये हैं- (Physycal), बीमारी (Disease), वेदना (Pain), तथा वातावरण शारीरिक तनाव, मानसिक तनाव और भावनात्मक तनाव । प्रत्येक (Environmental), सम्बन्धी तनाव। व्यक्ति इन तनावों से ग्रसित है । ये तनाव निम्न रूप हैं
इस प्रकार हम देखते हैं कि सभी चिन्तकों ने तनाव के शारीरिक तनाव- जब व्यक्ति शारीरिक श्रम करते-करते अलग-अलग प्रकार बताये हैं । संख्या की दृष्टि से समानता न होते भी थक जाता है तो मांसपेशियां विश्राम चाहती है। यदि पूर्णरूपेण विश्राम कुछ प्रकार एक-दूसरे से मिलते जुलते हैं और कुछ बिल्कुल भित्र हैं। नहीं मिल पाता है तो शारीरिक तनाव उत्पन्न हो जाता है।
मानसिक तनाव- इसका मुख्य कारण है- अधिक चिन्तन तनाव-मुक्ति के उपाय या सोचना । कुछ लोग तो इस बीमारी से इतने ग्रसित हो गये हैं कि उपर्युक्त वर्णित तनावों के कारणों एवं प्रकारों को दूर करके बिना उद्देश्य के भी लगातार कुछ न कुछ सोचते रहते हैं और इसी को व्यक्ति तनाव, से मुक्त हो सकता है, क्योंकि जब व्यक्ति ही तनाव रहित अपने जीवन की सफलता मानते हैं । अनावश्यक चिन्तन, मनन के हो जायेगा तो परिवार, समाज व विश्व अपने आप तनाव मुक्त हो कारण ही मानसिक तनाव उत्पन्न होता है।
जायेगा। आचार्य तुलसी ने भी इस सन्दर्भ में कहा है कि२८ . भावनात्मक तनाव- इस तनाव के मूलकारण हैं - आर्त्त 'सुधरे व्यक्ति समाज व्यक्ति से राष्ट्र स्वयं सुधरेगा । और रौद्रध्यान ।२५ जो वस्तु प्राप्त नहीं है, उसे प्राप्त करने का प्रयत्न 'तुलसी' अणु का सिंहनाद, सारे जग में प्रसरेगा । करना, उसी में निरन्तर लगे रहना आर्तध्यान है । इसमें व्यक्ति मनोनुकूल मानवीय आचार संहिता में अर्पित, तन-मन हो । वस्तु को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील रहता है तथा अप्रिय या मन
संयममय जीवन हो ।' के विपरीत वस्तु से छुटकारा पाने का भी प्रयत्न करता रहता है । इसी यहाँ पर कुछ तनाव-मुक्ति के उपायों का उल्लेख किया जा कारण भावनात्मक तनाव उत्पन्न होता है । रौद्रध्यान भी इसका एक रहा है जो इस प्रकार हैं - प्रमुख कारण है ।मन में निरन्तर संकल्प-विकल्प की स्थिति बनी रहती
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