Book Title: Bhupendranath Jain Abhinandan Granth
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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तपागच्छ का इतिहास
२१७ सुदर्शनाचरित्र की प्रशस्ति
२३. बुद्धिसागरसूरि, संपा०, जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, भाग१, C.D. Dalal, Ed. A Descriptive Catalogue of लेखांक १२०१; भाग२, लेखांक १२०. Manuscripts in the.Jamia Bhandarsat Pattan, २४-२५ मुनि चतुरविजय, पूर्वोक्त, भाग२, प्रस्तावना, पृष्ठ ८४. GO.S. No. LXXVI, Baroda 1937A.D.p.p. २६. हीरालाल रसिकलाल कापडिया, जैनसंस्कृतसाहित्यनो 208-209.
___ इतिहास, भाग २, खंड १, पृष्ठ ३७९. धर्मरत्नवृत्ति की प्रशस्ति
२७. H.D. Velankar, Jinarainakosha Poona, 1944 Muni Punya Vijaya: Catalogue of Palm Leaf A.D, P.299 Mss in the Shanti Natha Jaina Bhandar, २८. जैनसंस्कृतसाहित्यना......, पृष्ठ ३७९. Cambay, Vol, II, GO.S. No. 149, Baroda २९. श्री अगरचन्द नाहटा ने इसका रचनाकाल वि० सं०१४७१ 1966 A.D.
के आसपास बतलाया है। श्राद्वदिनकृत्यप्रकरण-स्वोपज्ञवृत्तिसहित की प्रशस्ति
द्रष्टव्य- "विक्रमादित्य विषयक जैन साहित्य"जैनसत्यप्रकाश, Muni Punya Vijaya, Ibid. P. 263-65.
वर्ष ९, अंक ४-६, विक्रमविशेषांक, पृष्ठ १८०-१८८. मुनिसुन्दरकृत गुर्वावली, श्लोक १५१-१६४; १३५- ३०. ___ द्रष्टव्य- संदर्भ क्रमांक १. १३६.
जैनसाहित्यनो......, पृष्ठ ४७०, कंडिका ६८९. तपागच्छीयपट्टावली (धर्मसागर उपा०कृत)
वही, पृष्ठ ४५३ पादटिप्पणी क्रमांक ४४०. पट्टावलीसमुच्चय, भाग१, पृष्ठ ५७-५८.
मुनि चतुरविजय, पूर्वोक्त, भागर, प्रस्तावना, पृष्ठ ८४७-८. वहीं
९३. मुनि चतुरविजय, संपा०, जैनस्तोत्रसंदोह, भाग१, अहमदाबाद ३५. पट्टावलीसमुच्चय, भाग १, पृष्ठ ६६. १९३२ ई० स०, प्रस्तावना, ५५-५६, पृष्ठ त्रिपुटीमहाराज, ३६. मुनि चतुरविजय, पूर्वोक्त, भागर, प्रस्तावना, पृष्ठ ८८. जैनपरम्परानो इतिहास, भाग३, श्री चारित्रस्मारक ग्रंथमाला, ३७. जैनसाहित्यनो......, पृष्ठ ४६५, कंडिका ६७७.
ग्रथांक ५६, अहमदाबाद वि० सं० २०२०, पृष्ठ २८३. ३८. वही, पृष्ठ ४६५, कंडिका ६७६. १०-११.मुनि चतुरविजय, पूर्वोक्त, भाग१, प्रस्तावना, पृष्ठ ३९. मुनि चतुरविजय, पूर्वोक्त, भाग२, प्रस्तावना, पृष्ठ ८८.
P. Peterson Third Report of Operation in Xo. Jinaratnakosha, P-175. Search of Sanskrit Mss in the Bombay Circle, ४१. मुनि चतुरविजय, पूर्वोक्त, भागर, प्रस्तावना, पृष्ठ ९०. Bombay 1893 A.D. No. 312.
वही, पृष्ठ ९१-९३. मोहनलाल दलीचंद देसाई, जैनसाहित्यनो संक्षिप्तइतिहास, ४४. द्रष्टव्य, संदर्भ क्रमांक ३५. मुम्बई १९३३ ई०स०, पृष्ठ ४१७, कंडिका ५१७. ४५. मुनि चतुरविजय, पूवोंक्त, भाग२, प्रस्तावना, पृष्ठ ८९३त्रिपुटीमहाराज, पूर्वोक्त, भाग ३, पृष्ठ ४२७.
९५. जैनसाहित्यनी......, पृष्ठ ४६४-४६५, कंडिका वही, पृष्ठ ४२२.
६७४-६७५. P. Peterson : Fifth Report of operation in ४६. मुनि कांतिसागर, शत्रुजयवैभव, कुशल पुष्प ४, जयपुर Search of Sanskrit Mss in the Bombay १९९० ई, पृष्ठ १७३-१७४.
Circle, Bombay 1896 A.D., No.-216. ४७. मुनि विद्याविजय, संपा०, प्राचीनलेखसंग्रह, भावनगर १६. हीरालाल रसिकलाल कापडिया, जैनसंस्कृतसाहित्यनो १९२९ ई०स०, लेखांक ११८.
इतिहास, भाग२, खंड १, श्री मुक्तिकमल जैन मोहनमाला, ४८.. दौलत सिंह लोढ़ा संपा०, जैनप्रतिमालेखसंग्रह, लेखांक
ग्रन्थांक ६४, बडोदरा ई०स० १९६९, पृष्ठ २७०-७१. ३०३बी, ३०४बी, ३५०, ३६०. १८. उपा० धर्मसागरकृत "तपागच्छपट्टावली"
वही, लेखांक २८०-२८६, २८९, २९६, ३०८ ३१२. Muni Punya Vijaya. Ed. Catalogue of PalmLeaf Mss in the Shanti Natha Jaina Bhandar, अर्बुदाचलप्रदक्षिणा जैनलेखसंदोह, लेखांक १३०-१३७, Combay, Vol, I-II, G.O.S. No. 136, 149, १३९, १४३, १५४- १५८. तथा Boroda 1961966 A.D.
पूरनचंद नाहर , जैनलेखसंग्रह, भाग१, लेखांक २७८. मुनि जिनविजय, संपा०, जैनपुस्तकप्रशस्तिसंग्रह, सिंघी ५०. श्रीप्रतिमा....., लेखांक २७८, तथा अर्बुदाचल जैनग्रन्थमाला, ग्रन्थांक १८, मुम्बई १९४३ ई०
प्रदक्षिणा...., लेखांक १६१. २२. जैनसाहित्यनो......, पृष्ठ ४४३, कंडिका ६५२-५३ ५२-५३.मुनि चतुरविजय, पूर्वोक्त, भाग२, प्रस्तावना, पृष्ठ ९५. २२अ. मुनि चतुरविजय, पूर्वोक्त, भाग२, प्रस्तावना, पृष्ठ ८४. ५४. वही, पृष्ठ..९५-९६.
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४३.
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