Book Title: Bhupendranath Jain Abhinandan Granth
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 258
________________ २१९ ३. १५५३ फाल्गुन सुदि४ ४. १५६० वैशाख सुदि३ तपागच्छ-कमलकलशशाखा का इतिहास शांतिनाथ की जैनमंदिर, चाणस्मा धातु की प्रतिमा का लेख वासुपूज्य की आदिनाथ चैत्य, थराद धातु की प्रतिमा का लेख बारसाख पर महावीर जिनालय, उत्कीर्ण लेख पींडवाड़ा ५. १६०३ माघ वदि८ शुक्रवार मुनि बुद्धिसागर, संपा०, जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, भाग१, लेखांक ११५. दौलत सिंह लोढा, संपा०, जैनप्रतिमालेखसंग्रह, लेखांक१२५. मुनि जयन्तविजय, संपा०, अर्बुदाचलप्रदक्षिणा, जैनलेखसंदोह, लेखांक३८२. एवं जैनलेखसंग्रह भाग१, लेखांक९४९. कमलकलशसरि के एक शिष्य भूवनसोमगणि हए जिन्होंने वि०सं०१५५१ में डीसा में आनन्दभूवन के पठनार्थ दशवैकालिकसत्र की प्रतिलिपि की१५। आनन्दभुवन कौन थे! भुवनसोमगणि और कमलकलशसूरि से उनका क्या सम्बन्ध था! इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती। कमलकलशसूरि के पट्टधर उनके दूसरे शिष्य जयकल्याणसूरि हुए। इनके द्वारा प्रतिष्ठापित कई जिन सलेख प्रतिमायें मिली हैं, जिनका विवरण निम्नानुसार है: वि०सं० तिथि/मिति लेख का स्वरूप प्राप्तिस्थान संदर्भ ग्रन्थ १. १५६६ फाल्गुनै वदि६ पार्श्वनाथ की प्रतिमा शीतलनाथ जिनालय, जैनलेखसंग्रह, भागर, गुरुवार का लेख उदयपुर लेखांक ११०३ २. १५६६ फाल्गुन सुदि१० शिलालेख चतुर्मुख विहार, मुनि जयन्तविजय, संपा०, आदिनाथ प्रासाद, अर्बुदप्राचीनजैनलेखसंदोह अचलगढ़ लेखांक ४६४, ४७१, ४७३, ४७४, ४८२, ४८३ एवं ४८४. मुनिजिनविजय, संपा०, प्राचीनजैनलेखसंग्रह, भाग२, लेखांक २६३,२६८. ३. १५६६ फाल्गुन सुदि१० आदिनाथ की। अदिनाथ जिनालय, जैनलेखसंग्रह, भाग२, सोमवार प्रतिमा का लेख अचलगढ़ लेखांक२०२७-२०२. ४. १५६७ वैशाख वदि१ अजितनाथ की घर देरासर, बडोदरा जैनधातुप्रतिमालेखसंग्रह, भाग२, गुरुवार प्रतिमा का लेख लेखांक २४६. ५. १५७२ वैशाख सुदि५ धर्मनाथ की प्रतिमा पार्श्वनाथजिनालय, नाहटों बीकानेरजैनलेखसंग्रह, सोमवार का लेख की गवाड़, बीकानेर लेखांक १५११. ६. १५७३ फाल्गुन वदि२ वासुपूज्य की धातु वासुपूज्य जिनालय, वही, लेखांक१३८९ रविवार की चौबीसी प्रतिमा बीकानेर का लेख फाल्गुन वदि४ संभवनाथ की अजितनाथ जिना०, जैनलेखसंग्रह, भाग २, प्रतिमा का लेख कटरा, अयोध्या.. लेखांक १६४३. पौष सुदि६ सुमातिनाथ जिनालय, विनयसागर, संपा०, रविवार जयपुर प्रतिष्ठालेखसंग्रह, लेखांक ९७७. ८. १५८७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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