Book Title: Bhupendranath Jain Abhinandan Granth
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 260
________________ २२१ तपागच्छ-कमलकलशशाखा का इतिहास तपागच्छ- कमलकलशशाखा के मुनिजनों की गुरु-परम्परा की तालिका (जगच्चन्द्रसूरि) (देवेन्द्रसूरि) (धर्मघोषसूरि) (सोमप्रभसूरि) (सोमतिलकसूरि) (देवसुन्दरसूरि) (सोमसुन्दरसूरि) (मुनिसुन्दरसूरि) रत्नशेखरसूरि सोमदेवसूरि लक्ष्मीसागरसूरि सुधानंदन सूरि सुमतिसुन्दर चारित्रहंस रत्नहंस (इनके उपदेश से वि० सं० १५११ में शांतिनाथचरित की प्रतिलिपि की गयी) सुधानंदनसूरिशिष्य (वि०सं०१५३३ के लगभग ईडरगढचैत्यपरिपाटीकर्ता) कमलकलशसूरि (कमलकलशशाखा के प्रवर्तक) वि० सं० १५५१-१६०३ प्रतिमालेख सोमचारित्र (वि० सं० १५४१ में गुरुगुणरलाकरकाव्य कर्ता) जयकल्याणसूरि (वि०सं० १५६६-१५८७) प्रतिमालेख भुवनसोमगणि (वि०सं० १५५१/ई०स० १४९५ में दशवैकालिकसूत्र के प्रतिलिपिकार) विमलसोम चरित्रसुन्दर अपरनाम चरणसुन्दर (वि० सं० १५६६ में अचलगढ पर हुए चतुर्मुखप्रासाद की प्रतिष्ठा के समय उपस्थित) लक्ष्मीरत्न लक्ष्मीरत्नशिष्य (वि०सं०१७ वीं सं० शती में सुरप्रियरास के कर्ता मतिलावण्य नर्बुदाचार्य (वि०सं० १६५६ में कोकशास्त्र चतुष्पदी के कर्ता) Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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