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जैन कला विषयक साहित्य
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पुस्तकें।
१९४४)
(३) तीसरे, कई प्रौढ़ कलामर्मज्ञों ने भारतीय कला पर बृहत्काय विवेचनात्मक ग्रन्थ रचे हैं, यथा बजेस, फर्गुसन, हैवेल, तथा जैन तीर्थाज इन इंडिया एण्ड देयर आर्किटेक्चर (अहमदाबाद स्मिथ, कुमारस्वामी, पर्सी ब्राउन, स्टेला क्रैमरिश, बाखोफेर, फैकफोर्ट,
१९४४) हैनरिख ज़िमर, बैनजमिन रोडेफ, लुईस फ्रेडरिक आदि ने। इन सभी .
। ६. डॉ० मोतीचन्द्र- जैन मिनियेचर पेन्टिग्स फ्राम वेस्टर्न इण्डिया विद्वानों ने ब्राह्मण और बौद्ध के साथ ही साथ जैन-कलाकृतियों पर भी प्रकाश डाला है, समीक्षा की, तुलनात्मक अध्ययन और मल्यांकन (अहमदाबाद १९४९) भी किया है।
७. मुनि पुण्यविजय- जेसलमेर चित्रावली (अहमदाबाद १९५९) (४) अनेक जैनेतर एवं जैन कलामर्मज्ञों एवं विद्वानों ने ८. मनि जयन्तविजय- आबू पर्वत एवं उसके जैन मन्दिरों पर कई विभिन्न स्थानीय जैन-कलाकृतियों पर अथवा विविध या विशिष्ट जैन- कलाकृतियों पर अनगिनत लेख लिखे हैं। इस सम्बन्ध में
९. मुनि कान्तिसागर- खोज की पगडंडियाँ और खण्डहरों का उल्लेखनीय नाम हैं- बोगेल, बहलर, बजेंस, कजिन्स, क्लाउज
वैभव, (दोनों भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित।) ब्रून, काशीप्रसाद जायसवाल , आर० डी० बनर्जी, ए० बनर्जी शास्त्री, भगवान लाल इरुजी, बी० एम० बरुआ, डी० आर०
१०.टी० एन० रामचन्द्रन-जैन मोनमेण्ट्स आफ़ इण्डिया (कलकत्ता भण्डारकर, रामप्रसाद चंदा, वासुदेव शरण अग्रवाल, दयाराम साहनी, मोतीचन्द, एच०डी० सांकलिया, कृष्ण दत्त बाजपेयी, नी०प० ११. यू०पी० शाह - स्टडीज इन जैन आर्ट (वाराणसी) १९५५. जोशी, आर० सी० अग्रवाल, बी०एन० श्रीवास्तव, देवला मित्रा, १२. क्लॉस फिशर- केब्ज एण्ड टेम्पल्स आफ दी जैन्स (जैन सेनगप्ता, रमेशचन्द्र शर्मा, शैलेन्द्र रस्तोगी, उ०प्र० शाह, मारुतिनन्दन मिशन, अलीगंज १९५६) प्रसाद तिवारी, शिव कुमार नामदेव, विजय शंकर श्रीवास्तव, ब्रजेन्द्रनाथ
१३. डा० भागचन्द्र जैन- देवगढ़ की जैन कला (भारतीय ज्ञानपीठ शर्मा, तेज सिंह गौड़ प्रभृति जैनेतर विद्वान तथा बाबू छोटेलाल जैन,
१९७५) कामता प्रसाद जैन, एम० ए० ढांकी, विशम्भरदास वार्गीय, नीरज जैन, गोपी लाल अमर, अगरचन्द नाहटा, के० भूजबलि शास्त्री,
१४. शोधाङ्क ३१ (२९ दिसम्बर १९७२) - में राज्य संग्रहालय
लखनऊ द्वारा आयोजित जैन कला संगोष्ठी का विवरण तथा बालचन्द्र जैन, भूरचन्द जैन आदि जैन लेखक उल्लेखनीय हैं।
जैन कला पर विभिन्न विद्वानों द्वारा पठित निबन्धों का सार स्वयं हमारे दर्जनों लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं, स्मारिकाओं, ग्रन्थों
संकलित है। आदि में जैन कला पर प्रकाशित हो चुके हैं। जैन पत्रिकाओं में से जैन सिद्धांत भास्कर, जैन एन्टीक्वेरी, अनेकान्त, अहिंसावाणी. १५. जैन आर्ट एण्ड अर्किटेक्चर, ३ खण्ड (भारतीय ज्ञानपीठ, वायस आफ़ अहिंसा, शोधाङ्क, श्रमण, जैन जर्नल में विभिन्न
१९७५) लेखकों के जैन कला विषयक लेख, कभी-कभी सचित्र भी बहुधा
-जैनकला के विषय में प्रकाशित अब तक के ग्रन्थों में यह निकलते रहे हैं।
महाग्रन्थ सर्वाधिक विशाल, सर्वांगपूर्ण एवं प्रमाणिक है। ग्रन्थ सचित्र (५) जैनकला विषयक विशिष्ट एवं उल्लेखनीय ग्रन्थों में और अंग्रेजी एवं हिन्दी दोनों भाषाओं में प्रकाशित हआ है। निम्नोक्त नाम गिनायें जा सकते हैं
. इस प्रकार जैन कला-साहित्य का यह संक्षेप में प्राय: १. विन्सेण्ट स्मिथ- जैन स्तूप एंड अदर एण्टीक्विटीज आफ
सांकेतिक परिचय है। इस साहित्य की विद्यमानता में जैन कला के
किसी भी अंग या पक्ष पर शोध करने वाले छात्रों को सामग्री का मथुरा (इलाहाबाद १९०१)
अभाव नहीं है। कला मर्मज्ञों के लिए जैन कला के किसी भी अंग का २. ए० एच० लांगहर्स्ट -हम्पी रूइन्स (मद्रास १९१७)
तुलानात्मक अध्ययन, समीक्षा एवं मूल्यांकन करना अपेक्षाकृत सुगम ३. एम० एम० गांगुली-उड़ीसा एण्ड हर रिमेन्स, एन्शिएन्ट एण्ड हो गया है। जो कलारसिक अथवा सामान्य जिज्ञास हैं, वे भी उपर्युक्त मेडिवल (कलकत्ता १९१२)
साहित्य से जैन कला विषयक सम्यक् जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। ४. नार्मन ब्राउन-१९१८ और १९४१ के बीच प्रकाशित जैन इतना सब होने पर भी यह मान बैठना उचित नहीं होगा कि इस क्षेत्र चित्रकला पर पाँच पुस्तकें।
में अब और कुछ करना शेष नही है। अभी बहुत-कुछ किया जा ५. साराभाई नवाब- जैन चित्र-कल्पद्रम, ३ भाग (अहमदाबाद
सकता है, करने की आवश्यकता है।
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