Book Title: Bhupendranath Jain Abhinandan Granth
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 245
________________ २. १४५८ फाल्गुन सुदि २ बुधवार १४६१ श्रावण सुदि ११ गुरुवार १४६५ ज्येष्ठ वदि ११ १४६६ श्रावण सुदि १० १४६६ तिथिविहीन जैन विद्या के आयाम खण्ड-७ अनुपूर्ति लेख, आबू मुनिजयन्तविजय, संपा०, अर्बुप्राचीनजैनलेखसंदोह, लेखांक ६०७. बड़ा मंदिर, विनयसागर, संपा० नागौर प्रतिष्ठालेखसंग्रह, लेखांक १८४. आदिनाथ जिनालय, वही, लेखांक १९१. मालपुरा आदिनाथ जिनालय, मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग १, खेरालु लेखांक ७६१. चिन्तामणिजिनालय अगरचंद भंवरलाल नाहटा, बीकानेर संपा०, बीकानेरजैनलेखसंग्रह लेखांक ६३२. चिन्तामणिपार्श्वनाथ नाहटा, पूर्वोक्त, जिनालय, बीकानेर लेखांक ६३४. वही, लेखांक ६३५. जगवल्लभ पार्श्वनाथ मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, देरासर, नीशापोल, भाग १, लेखांक १२०१ अहमदाबाद दादापार्श्वनाथ देरासर, वही, भाग २, नरसिंह जी की पोल, लेखांक १२० बडोदरा माधवलालबाबू का देरासर, विजयधर्मसूरि, संपा०, पालिताना प्राचीनलेखसंग्रह, लेखांक १०८. ७. १४६७ वैशाख सुदि ७ वही १४६८ १४६९ तिथिविहीन फाल्गुन सुदि ३ ९. १०. १४६९ तिथिविहीन ११. १४६...२ तिथिविहीन देवसुन्दरसूरि के शिष्यों में ज्ञानसागरसूरि, कुलमण्डनसूरि, गुणरत्न, साधुरत्न, सोमसुन्दरसूरि, साधुराजगणि, क्षेमरसूरि आदि का नाम मिलता है। ज्ञानसागरसूरि द्वारा रचित कई कृतियां मिलती२१ हैं, जो इस प्रकार हैं: १. उत्तराध्ययनअवचूरि वि०सं० १४४१ २. आवश्यकसूत्र पर अवचूरि वि०सं० १४४० ३. ओधनियुक्ति पर अवचूरि ४. मुनिसुव्रतस्तवन ५. धनौधनवखंडपार्श्वनाथस्तवन ६. शास्वतचैत्यवन्दन आदि कुलमंडनसूरि द्वारा रचित कृतियां २२ इस प्रकार हैं: १. विचारामृतसंग्रह वि०सं० १४४३ २. प्रवचनपाक्षिक रूप अधिकार वाला सिद्धान्तालापकाद्धार प्रज्ञापनाअवचूर्णि प्रतिक्रमणसूत्रअवचूरि कल्पसूत्रअवचूरि कायस्थितिस्तोत्र पर अवचूरि अष्टादशचक्रबन्धस्तवन हारबंधस्तवन ९. काकबंधचौपाई आदि देवसुन्दरसूरि के तीसरे शिष्य गुणरत्न भी अपने समय के प्रसिद्ध रचनाकार थे। उनके द्वारा रचित कृतियां२२अ निम्नानुसार हैं: १. कल्पान्तर्वाच्य वि० सं० १४५७. २. सप्ततिका पर देवेन्द्रसूरि की टीका के आधार पर अवचूर्णि वि० सं० १४५९ .. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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