Book Title: Bhupendranath Jain Abhinandan Granth
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 128
________________ आचार्य हरिभद्र और उनका योग ९५. योगबिन्दु, श्री हरिभद्र सूरि ग्रन्थ संग्रह, प्रकाशन - श्री जैन ग्रंथ, १२३. वही,३/१८८ प्रकाशन सभा, श्री राजनगर वि० सं० १९९५, १३ १२४. मनुस्मृति, चौखम्बा संस्कृत सिरीज, वाराणसी, १९४०, १११० ९६. वही, ५७ १२५. समराइच्चकहा, पं० भगवानदास, जैन सोसायटी, अहमदाबाद, ९७. योगबिन्दु, श्री हरिभद्र सूरि ग्रन्थ संग्रह, प्रकाशन - श्री जैन ग्रंथ, १९३८, १९४२, ३/१९० । प्रकाशन सभा, श्री राजनगर वि० सं० १९९५, ६ १२६. योगबिन्दु, श्री हरिभद्र सूरि ग्रन्थ संग्रह, प्रकाशन - श्री जैन ग्रंथ, ९८. शास्त्रवार्तासमुच्चय, संपा- के. के. दीक्षित, भारतीय संस्कृति प्रकाशन सभा, श्री राजनगर वि० सं० १९९५, ३८१, ३८२ मन्दिर अहमदाबाद, १९६९, १०९ १२७. योगशतक डॉ० इन्दुकला हीराचन्द झवेरी प्रका० गुजरात ९९. वही, १४० विधानसभा, भद्र, अहमदाबाद, १९५९, ६१ १००. श्रावकप्रज्ञप्ति, संपा- बालचन्द्र सिद्धान्त शास्त्री, गा० २००,२०३ १२८. योगबिन्दु, श्री हरिभद्र सूरि ग्रन्थ संग्रह, प्रकाशन - श्री जैन १०१. योगबिन्दु, श्री हरिभद्र सूरि ग्रन्थ संग्रह, प्रकाशन - श्री जैन ग्रंथ, प्रकाशन सभा, श्री राजनगर वि० सं० १९९५, ३८१ग्रंथ, प्रकाशन सभा, श्री राजनगर वि० सं० १९९५, १० ३८३ १०२. श्रावकप्रज्ञप्ति, संपा- बालचन्द्र सिद्धान्त शास्त्री, गा०४ १२९. वही,३८४-३८५ १०३. तत्त्वार्थसूत्र, संपा- पं० सुखलाल संघवी, पार्श्वनाथ शोध संस्थान, १३०. वही, ३८७ __वाराणसी, १९९७ ९/३ १३१. वही, ३८८ १०४. वही, श्राक्कप्रज्ञप्ति, संपा- बालचन्द्र सिद्धान्त शास्त्री, गा० ८१ १३२अ. योगशतक, डॉ० इन्दुकला हीराचन्द झवेरी प्रका० गुजरात १०५. अष्टकप्रकरण, जैनग्रंथ प्रकाशन समिति, राजनगर, १९३७, विधानसभा, भद्र, अहमदाबाद, १९५९, ५२.७४.७९ ६/१ . १३२. ललित विस्तरा, पृ० २०४ १०६. पंचाशक, जैनधर्म प्रसारक सभा, भानगर, १९१२, १९/९२२ १३३. योगशतक, डॉ० इन्दुकला हीराचन्द झवेरी प्रका० गुजरात १०७. वही, १८/८९४ विधानसभा, भद्र, अहमदाबाद, १९५९,७९ १०८. वही, १९/९२९-३१ १३४. वही, ८६-८९. १०९. वही, १८/८९७, उत्तराध्ययन साध्वी चन्दना, वीरापतन प्रकाशन, १३५. पंचाशक, जैनधर्म प्रसारकसभा, भावनगर, १९१२,११/४२ __ आगरा-२, १९३३ २९/२५ १३६. योगबिन्दु, श्री हरिभद्र सूरि ग्रन्थ संग्रह, प्रकाशन - श्री जैन ग्रंथ, ११०. वही, १८/८९८ प्रकाशन सभा, श्री राजनगर वि० सं० १९९५, ७० १११. पंचाशक, जैनधर्म प्रसारक सभा, भावनगर, १९१२ १३७. शास्त्रावार्तासमुच्चय, संपा- के. के. दीक्षित, भारतीय संस्कृति ११२. पंचाशक सटीक विवरण उद्धृत, जैन योग सिद्धान्त और मन्दिर अहमदाबाद, १९६९, ४ साधना, पृ० २५९. १३८. योगबिन्दु २५२,२७२,३६४ तत्त्वार्थसूत्रहरिभद्र, पृ० ४७८ १३९. अष्टकप्रकरण, जैनग्रन्थ प्रकाशन समिति, राजनगर, १९३७, ११३. तत्त्वार्थसूत्रहरिभद्र, पृ. ४८३-८३ ११४. वही, १४०. वही, २९/८ ११५. आवश्यकहरिभद्रीयवृत्ति, पु. २२७-९ १४१. वही, २९/२ ११६. पंचाशक, जैनधर्म प्रसारक सभा, भावनगर, १९१२, १४२. वही, ३२/२ १९/९२२ १४३. योगबिन्दु, श्री हरिभद्र सूरि ग्रन्थ संग्रह, प्रकाशन - श्री जैन ग्रंथ, ११७. समराइच्चकहा, पं० भगवानदास, जैन सोसायटी, अहमदाबाद, प्रकाशन सभा, श्री राजनगर वि० सं० १९९५, ३६५ १९३८, १९४२, ५/४४० १४४. अष्टकप्रकरण, जैनग्रन्थ प्रकाशन समिति, राजनगर, १९३७, ११८. वही, ७/७४७ २९/१ ११९. वही, ३/१९१ १४५. वही, ३०७/१ १२०. योगबिन्दु, श्री हरिभद्र सूरि ग्रन्थ संग्रह, प्रकाशन - श्री जैन १४६अ. योगबिन्दु,३६२ ग्रंथ, प्रकाशन सभा, श्री राजनगर वि० सं० १९९५, १२५ १४६. तत्त्वार्थसूत्र, संपा, पं० सुखलालजी, पार्श्वनाथ विद्यापीठ शोध १२१. अष्टप्रकरण, जैनग्रन्थ प्रकाशन समिति, राजनगर, १९३७ २७/५ संस्थान, वाराणसी-५ १२२. समराइच्चकहा, जैनग्रन्थ प्रकाशन समिति, राजनगर, १९३७, १४७. उत्तराध्ययनसूत्र, संपा, साध्वी चन्दना, वीरायता प्रकाशन ३/१९१ २९/१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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