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सेवाभावी : भूपेन्द्रनाथ जी
डॉ० बशिष्ठ नारायण सिन्हा*
आदरणीय श्री भूपेन्द्रनाथ जी जैन पार्श्वनाथ विद्यापीठ के द्वितीय मंत्री हैं । इनसे मेरा परिचय काफी पुराना है। जब मैं सन् १९५८ में एम०ए० द्वितीय वर्ष का विद्यार्थी बना, अपने पाठ्यक्रम के वैकल्पिक पत्र के रूप में जैन दर्शन लिया जिसके कारण मुझे इस संस्था से छात्रवृत्ति मिली, साथ ही संस्था में रहने की सुविधा भी। उस समय श्री भूपेन्द्रनाथ जी के पिता श्री स्व० लाला हरजसराय जी जैन संस्थान के मंत्री थे तथा स्व० मुनि कृष्णचन्द्राचार्य जी अधीक्षक । पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान तब अपने निजी भवन में नहीं बल्कि करौंदी में ही किराये के मकान में था। स्व०लाला हरजसराय जी संस्था की गतिविधि के निरीक्षण हेतु संस्थान में आया करते थे। वे स्वभावत: सरल और सज्जन थे। वे एक अधिकारी के रूप में आते थे, किन्तु उनके व्यवहार से पारिवारिक अपनत्व का सुख मिलता था। हम विद्यार्थी उनका सम्मान उस तरह करते थे जैसे कोई व्यक्ति अपने अभिभावक को आदर करता
श्रद्धेय लाला हरजसराय जी जैन के स्वर्गारोहण के बाद पार्श्वनाथ शोध संस्थान में एक रिक्तता सी सामने आयी, उसकी पूर्ति तुरन्त ही बन्धुवर श्री भूपेन्द्रनाथ जी जैन द्वारा हो गयी। तब से लेकर आज तक ये पार्श्वनाथ विद्यापीठ के मंत्री पद को सुशोभित कर रहे हैं। मन्त्री बनने से पहले भी श्री जैन अपने पिताश्री के साथ यहाँ आया करते थे और इनसे भेंट हुआ करती थी। ये अपने पिताश्री की तरह ही मृदुभाषी और सहृदय व्यक्ति हैं। संस्थान के अधिकारी होने तथा इससे पूर्व की स्थितियों में होनेवाले इनके व्यवहारों में कोई अन्तर दिखाई नहीं देता है। ये पहले जिस तरह अपने लगते थे आज भी उसी तरह अपने लगते हैं।
श्री भूपेन्द्रनाथ जी जैन पार्श्वनाथ विद्यापीठ के मात्र औपचारिक मंत्री नहीं है बल्कि तन, मन तथा धन से समर्पित होकर ये इस संस्थान के विकास के लिए प्रयत्नशील रहते हैं। इनके मंत्रीत्वकाल में संस्थान का दिन व दिन बहुमुखी विकास होता आ रहा है। भवन निर्माण, ऐतिहासिक पुरातात्त्विक संग्रह, प्रकाशन, पुस्तकालय, संगोष्ठी, सामाजिक कार्य आदि सब में संस्थान को प्रशंसनीय सम्पन्नता प्राप्त है। संभवत: ऐसा इसलिए हो रहा है कि श्री जैन की अनुभूति में शास्त्रों की यह मान्यता बिल्कुल घर कर गई है"पिता द्वारा प्रारम्भ किये गये किसी भी शुभ संकल्प को सम्पूर्ण सफलता तक पहुँचाना पुत्र का परम धर्म होता है।"
मैं आदरणीय श्री भूपेन्द्रनाथ जी जैन का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ, साथ ही इनके स्वस्थ एवं सुखी जीवन की शुभकामना करता हूँ ताकि इनकी छत्रछाया में पार्श्वनाथ विद्यापीठ की उत्तरोत्तर समृद्धि हो और जैन परम्परा ही क्या बल्कि सम्पूर्ण भारतीय परम्परा को समुचित सेवा व सहयोग प्राप्त हो सके।
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