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अहिंसावादी सिद्धान्त की प्रतिमूर्ति : श्री भूपेन्द्रनाथ जैन
डॉ० रमेश चन्द्र गुप्त*
वर्ष १९८२ में जब मैंने पार्श्वनाथ विद्यापीठ से शोध छात्र के रूप में कार्य प्रारम्भ किया। उस समय मुझे ज्ञात हुआ कि श्री भूपेन्द्रनाथ जी जैन, प्रबन्ध निदेशक, न्यूकेम लि० फरीदाबाद इस विद्यापीठ के मन्त्री हैं। वर्ष १९८४ में प्रथम बार विद्यापीठ के कार्य हेतु मैं फरीदाबाद उनके निवास पर मिलने गया, तो उन्होंने बहुत ही आत्मीयता एवं मृदुलता के साथ मेरे बारे में तथा विद्यापीठ की गतिविधियों के बारे में सहज ढंग से बात की। तब मुझे विस्मय हुआ कि क्या एक बहुत बड़ी कम्पनी के प्रबन्ध निदेशक इतने सरल एवं विनम्र स्वभाव के व्यक्तित्व भी हो सकते हैं । वास्तव में वे जिन धर्म के अहिंसावादी सिद्धान्त (मन, वचन एवं शरीर से भी किसी प्राणी को द:ख न पहँचे) की प्रतिमूर्ति हैं। इसका प्रत्यक्ष दर्शन मुझे उस समय हुआ जब दोपहर के भोजनोपरान्त जैन साहब मुझे न्यूकेम फैक्टरी दिखाने ले गये। फिर सम्पूर्ण फैक्टरी परिसर में पैदल ही मेरे साथ-साथ रहे । उस समय सभी कर्मचारी बहुत ही आदर के साथ उनका अभिवादन कर रहे थे, यह उनके मनसा, वाचा, कर्मणा व्यवहार का ही प्रतिफल कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति न होगी।
श्री जैन साहब की अध्ययन के प्रति भी प्रगाढ़ रुचि का प्रमाण ही पार्श्वनाथ विद्यापीठ है । वर्ष १९९६ में उनके अथक प्रयास से ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की एक समिति ने मान्य विश्वविद्यालय के बारे में अपनी आख्या का करोड़ की स्थायी निधि के परन्तुक के साथ की है । मुझे आशा ही नहीं वरन् पूर्ण विश्वास है कि श्री जैन साहब अपने लक्ष्य में अवश्य सफल होंगे।
मैं श्री जैन साहब के बहुमुखी व्यक्तित्व को नमन करते हुए ईश्वर से उनके शतायु होने की मंगल कामना करता हूँ।
*संस्थापक : बाल विद्यापीठ, आँवला (बरेली)।
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