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६ अतीत का वसंत : वर्तमान का सौरभ करता हूं और चाहता हूं कि हमारे धर्मसंघ में इस तरह एक दूसरे को बनाने की, निर्माण करने की प्रक्रिया चालू रहे। व्यापक दृष्टिकोण गुरुदेव! आपने मुझे तेरापंथ धर्मसंघ का आचार्य बनाया, किन्तु आपने अपने लिए अध्यात्म का विशेष मार्ग चुना है। अभी तक आपने अपने हर कार्य में मुझे अपने साथ रखा है, अध्यात्म के कार्य में भी रखा है। आपने धर्म को व्यापक रूप दिया। धर्माचार्य कहते-विज्ञान ने धर्म का सत्यानाश कर दिया, किन्तु आपने मुझसे कहा कि इस सचाई को हमें स्वीकार करना है कि विज्ञान ने धर्म का बहत उपकार किया है। उस समय लोग कहते-समाजवाद और साम्यवाद को एक मुनि को नहीं पढ़ना चाहिए, अन्यथा वह भ्रष्ट हो जायेगा। कभी ऐसी ही शिकायत • मुनियों ने गुरुदेव से की। गुरुदेव ने कहा-'तुम लोग चिन्ता मत करो, वह मेरी आज्ञा से पढ़ रहा है। मैंने साम्यवाद पढ़ा, समाजवाद पढ़ा, राजनीतिक प्रणालियों को पढ़ा, विज्ञान के बारे में पढ़ा। यह सब कुछ न पढ़ पाता अगर गुरुदेव की प्रेरणा और निर्देश न होता। आपने दृष्टिकोण को भी व्यापक बनाया है।
लोग पूछते हैं मुझसे कि अब आप नई भूमिका में क्या करेंगे? कल दूरदर्शन वालों ने पूछा, और भी अनेक विशिष्ट लोगों ने पूछा कि अब आप क्या करेंगे? मैंने कहा- 'मैं कोई नया काम तो नहीं शुरू करूंगा, हां नया कुछ जरूर जोडूंगा। पहली प्राथमिकता मानव के सामने आज तीन बड़ी समस्याएं हैं
१. रोटी की समस्या, . २. चरित्र की समस्या, ३. मानसिक शान्ति की समस्या।
ये तीन बड़ी समस्याएं हैं आज की। रोटी की समस्या को सुलझाने का दायित्व राजनेताओं पर है। शेष बची दो-चरित्र की समस्या और मानसिक शान्ति की समस्या। चरित्र की समस्या को सुलझाने से भी
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