Book Title: Atit ka Basant Vartaman ka Saurabh
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 202
________________ १८८ अतीत का वसंत : वर्तमान का सौरभ ही एक कामना करता है। आगे का क्रियान्वयन समाज करता है। आचार्य विनोबा, काका कालेलकर आदि भारतीय मनीषियों ने गुरुदेव से कई बार अनुरोध किया था कि आज विश्व में अनेकांतवाद के प्रचार की आवश्यकता है और वह कार्य आचार्य तुलसी करें। यह सद्यस्क प्रश्न है। मुझे लगता है कि लोग छोटी-छोटी बातों में उलझ जाते हैं और मूल बात को कहीं छोड़ देते हैं। वे इसमें ही उलझ जाते हैं कि महाराज चंदा करवाते हैं, मकानों की प्रेरणा देते हैं आदि-आदि। मुझे तरस आता है उनके चिन्तन पर। हम इन छोटी बातों में पड़कर मूल को भुला देते हैं। आप मकान बनाएं या न बनाएं, हमें क्या? शांतिनिकेतन जब प्रारम्भ हुआ था तब उसकी कक्षाएं वृक्षों के नीचे लगती थीं। आप हमारी इस बात को पकड़ लें कि जैन विद्याओं का हमें विकास करना है, अनुसंधान करना है और सारे विश्व में इन किरणों को फैलाना है। आप केवल यह संकल्प करें। आप एक भी कौड़ी दें या न दें, आप मकान बनाएं या न बनाएं, हमें कोई कष्ट नहीं होगा, कोई चिन्ता नहीं होगी। आप केवल मूल काम को करें। आप दोषारोपण की बात को छोड़कर काम में लग जाएं। यदि दोषारोपण ही करते रहेंगे तो पुरानी उपलब्धियां नष्ट हो जाएंगी और नया कुछ भी हाथ नहीं लगेगा। आप दरिद्र बन जाएंगे। । हमारे प्राचीन आचार्यों ने कितने बड़े-बड़े काम किए थे। आज उपलब्ध साहित्य उसका साक्षी है। आज आप किसी भी क्षेत्र के प्राचीन साहित्य को देखें, उसमें जैन आचार्यों की विशेष देन मिलेगी। आज कहां हैं जैन समाज में ज्योतिष के विद्वान् ? कहां हैं आयुर्वेद के धुरन्धर? कहां हैं मन्त्रशास्त्र के विद्वान् ? कहां हैं तंत्र और रसायन विद्या के पारगामी विद्वान् ? आज मानो सारा का सारा लुप्त ही हो गया है। एक समय था जब इन सारी विद्याओं के पारगामी विद्वान् जैन परम्परा में उपलब्ध थे। उनकी इस विषय में अपूर्व देन रही है। आज आप इतना-सा करें कि इन प्राचीन उपलब्धियों को जनता के समक्ष रखने का प्रयत्न करें। जैन विद्याओं के प्रति जनता आकर्षित होगी और इस प्रकार उसके साहित्य का उद्धार होगा। जिस परम्परा में इतने बड़े-बड़े ग्रन्थ लिखे गए, जिस परम्परा में इतनी विशिष्ट, उपलब्धियां हुईं, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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