Book Title: Atit ka Basant Vartaman ka Saurabh
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 240
________________ २२६ अतीत का वसंत : वर्तमान का सौरभ प्रस्तुत लेख के निष्कर्ष ये हैं • आचार की कसौटी है संयम। उसके आधार पर आचार की यथार्थ पालना अथवा शिथिलता का अनुमापन किया जा सकता है। • नियमात्मक आचार का देशकाल सापेक्ष परिवर्तन होता रहता है। उसके आधार पर आचार की शिथिलता या कठोरता का अनुमापन नहीं किया जा सकता। स्वीकृत नियमों में जब तक आचार्य द्वारा परिवर्तन न हो, तब तक उन नियमों का अनुपालन न करना भी आचार की शिथिलता है। • कोई मुनि विशिष्ट साधना करता है। जैसे एक बार भोजन करता है, वस्त्र का प्रक्षालन नहीं करता। इसे आचार की कठोरता नहीं, व्यक्ति की अपनी विशिष्ट साधना कहा जा सकता है। इन निष्कर्षों का मिश्रण न करें तो आचार के विषय में हमारा दृष्टिकोण बहुत साफ रहेगा, अहेतुक उलझनों से मानस प्रभावित नहीं होगा। * जैन शासन की एकता के संदर्भ में आलेखित एक निबंध। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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