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१५८ अतीत का वसंत : वर्तमान का सौरभ
उसमें भाग ले रहे थे, चुनाव मुख्य आयुक्त श्री सुकुमार सेन, कांग्रेस अध्यक्ष श्री यू. एन. देबर, साम्यवादी नेता श्री ए. के. गोपालन, प्रजा समाजवादी पार्टी के नेता आचार्य जे. बी. कृपालानी आदि।
गुरुदेव ने अपने आदि वचन में कहा- 'यदि चुनाव में अनैतिक आचरण हो तो उससे फलित होने वाला जनतंत्र पवित्र नहीं हो सकता। अणुव्रत आन्दोलन का लक्ष्य है नैतिकता या चरित्र की प्रतिष्ठा। चुनाव में भी नैतिकता को बल मिले, इस उद्देश्य से आज की परिषद् आयोजित है। किसी राजनीतिक दल या पक्ष से हमारा संबंध नहीं है।' आदि वचन के अनन्तर गुरुदेव ने चुनाव की आचार संहिता सबके सामने रखी।
चुनाव मुख्यायुक्त श्री सुकुमार सेन ने कहा-मुझे प्रसन्नता है कि इस परिषद में सब राजनीतिक दलों के नेता सम्मिलित हुए हैं। चुनाव में हमारे देश के वे आदर्श प्रतिबिम्बित हैं, जिन्हें हम सदियों से मानते आ रहे हैं। उन्होंने गुरुदेव से निवेदन किया कि मतदाता की आचार संहिता में दो व्रत जोड़े जाएं।
१. मैं वोट अपने अंतरमन की आवाज के अनुसार दूंगा, देश के लाभ को सोचते हुए दूंगा।
२. मैं उस उम्मीदवार को वोट नहीं दूंगा, जो उम्मीदवार की आचार संहिता के लिए कृतसंकल्प नहीं है। ___ कांग्रेस अध्यक्ष श्री ढेबर ने साध्यशुद्धि के साथ साधनशुद्धि में भी विश्वास व्यक्त किया और विश्वास दिलाया कि हमारा दल इस कार्य में पूरा सहयोग करेगा। साम्यवादी नेता श्री गोपालन संकल्प की भाषा में बोले-यदि मैं अपनी पार्टी की ओर से चुनाव लडूंगा तो इन नियमों के पालन की प्रतिज्ञा करता हूं। मेरी पार्टी में इस आचार संहिता के प्रतिकूल कोई व्यवहार देखेंगे तो हम उसे रोकने का प्रयत्न करेंगे। श्री गोपालन ने सुझाव दिया-चुनाव अधिकारियों के लिए भी आचार संहिता होनी चाहिए, जैसे-मैं चुनाव कार्य में सचाई व नैतिकता का व्यवहार करूंगा। ___आचार्य कृपलानी ने आचार संहिता का स्वागत किया, अपनी ओर से एक सुझाव भी प्रस्तुत किया-'उम्मीदवार और मतदाता के लिए जैसे आचार संहिता है, वैसे ही दल की कार्यकारिणी के सदस्यों तथा मंत्रियों
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