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अमृत महोत्सव : अभिनन्दन १५५ दोनों का भाव प्रवर्धमान रहे। हम मिले-जुले प्रयत्न से शासन की दीर्घकाल तक सेवा करें, शासन को शिखर पर चढ़ाएं। यही अनन्त मंगल कामना है। शिवास्तु ते पन्थानः। ६/११/७६ प्रातः
-आचार्य तुलसी फिल्लोर
आज सप्तमी का दिन तो हमारे संघ के लिए महत्त्वपूर्ण है ही, किन्तु गुरुदेव ने गतवर्ष इसी सप्तमी के दिन युवाचार्य के रूप में मेरा मनोनयन कर इस तिथि के साथ एक और कड़ी जोड़ दी। मेरा जन्म इसके साथ जड़ गया और वह अमर हो गया। इस तिथि के आते ही अनायास दोनों प्रसंग स्मृति पटल पर उतर आते हैं।
आज एक सुखद संयोग मिला है। हम २७ मुनि हैं, योग होता है २+७= ६। यहां ८१ साध्वियां हैं। इनका योग होता है + १ = ६ नौ कुल साधु-साध्वी १०८ हैं। इस संख्या का भी योग नौ होता है। यह नौ की संख्या अक्षय मानी जाती है। पूज्य गुरुदेव भी नौवें आचार्य हैं। कितना सुयोग। हम वास्तव में पुण्यशाली हैं। हमारा एक ही कर्तव्य शेष रह जाता है कि हम सबसे पहले अपना दीपक जलाएं, फिर लोगों के अंधतमस को दूर करने का प्रयत्न करें। हम संघ की गरिमा को बढ़ाएं और इसको सुदृढ़ आधार देने का प्रयत्न करें।*
* युवाचार्य मनोनयन के बाद प्रथम बार गुरुदेव श्री तुलसी से पृथक् मनाए गए
मर्यादा-महोत्सव पर प्रस्तुत वक्तव्य
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