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१३४ अतीत का वसंत : वर्तमान का सौरभ व्यक्तित्व रंगों से बहुत प्रभावित होता है। रंग की पसंद और नापसंद के आधार पर पूरे व्यक्तित्व की व्याख्या की जा सकती है। प्रेक्षाध्यान की प्रणाली में अनेक प्रयोग हैं। उनमें एक प्रयोग है-रंग-ध्यान का। पारिभाषिक शब्दावली में उसे लेश्याध्यान कहा जाता है। पश्चिमी जगत् में रंग-ध्यान पर बहुत कार्य हो रहा है। कलर-थेरापी और कलर-मेडिटेशन-इन विषयों पर काफी साहित्य लिखा जा रहा है। जयाचार्य ने रंग-ध्यान के विषय में कुछ महत्त्वूर्ण सूचनाएं दी हैं। वे आज के इस बहुचर्चित विषय में बहुत मूल्यवान् हैं।।
बहुआयामी व्यक्तित्व की अनेक दिशाओं में चैतन्य की ज्योति को प्रज्वलित और मानवीय मूल्यों को प्रतिष्ठित करने वाले उस प्रज्ञापुरुष के प्रति विनम्र वंदना।
* जयाचार्य निर्वाण शताब्दी पर प्रदत्त वक्तव्य।
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