Book Title: Agam 30 Mood 03 Uttaradhyayana Sutra Part 01 Sthanakvasi Gujarati Author(s): Ghasilal Maharaj Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar SamitiPage 12
________________ अनु. २६ विनया पहेस और उस विषयमें जासन विनय पृच्छा प्रकार विगेरह विनयशालि होने का द्रष्टांत २७ विनीत शिष्यों वायनाहान डा प्रकार २८ सूत्र शहा अर्थ और सूत्र निक्षेप लक्षा २८ सूत्र डे ३२ घोषों ा वर्शन 30 सूत्र डे आठ ८ और छह ६ गुगोंडा वर्शन 39 सूत्र डालेह और सूत्र प्राउय्याराविधि सूत्र के जोलने में होषो प्राथन वायना द्वारा वर्शन ३२ 33 ३४ वायना द्वार विषयमें राभा द्रष्टांत उप सूत्रार्थापौर्वापर्य नि३पा नाभा आठवां द्वार विषय वन ३९ सूत्र अर्थ जेवं सूत्रार्थमें यथोत्तर प्रजा नाभा नवमां द्वारा वर्शन ३७ निरवध भाषाविधि ३८ निरवध भाषा प्रा लेह 3८ सावध भाषा जोसनेमा निषेध ४० ૪૧ ૪૨ ४३ 40 ૫૧ सावध भाषा विषयमें अश्वपति डा द्रष्टांत निरर्थ भाषा जोलने डा निषेध और उस विषय में द्रष्टांत भार्मिङ भाषा जोतनेडा निषेध और धनगुप्त श्रेष्ट द्रष्टांत अन्य प्रासंसर्ग से होनेवाला घोषणा परिहार और ब्रह्मयारिडा उर्तव्य पाना नं. ५७ ७२ ४४ ब्रह्मयारिडा प्रर्तव्य और शिष्यों ो शिक्षा ४५ जेष समिति विषय जिनय धर्मा प्रथन ४६ गृहैषा समिति की विधि ४७ ग्रासैषाडी विधि ४८ वयनडी यतना ( नियमन ) डी विधि ८४ ४८ विनीत शिष्यको और अविनीत शिष्य को उपदेश हेने में इस प्रा लेह और डुशिष्यडी हुर्भावना सत् शिष्यडी लावनाडा वन विनीत शिष्य ने विनय सर्वस्व प्रा उपदेश द्वारा शिक्षा प्रावर्शन पर जुद्धोपधाती न जनने हे विषयमें वीर्योल्लासाचार्य द्रष्टांत ઉત્તરાધ્યયન સૂત્ર : ૧ र्ज 6 के ४८ 40 પર પ पट ६० ૬૨ ૬૨ ૬૪ ६६ ६८ ७१ ७३ ७४ ७७ ७८ ८१ ८३ ८३ ८६ ८७ ८८ ८८Page Navigation
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