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सामायिक आवश्यक Samayik Avashyak (Essential)|
आत्मशुद्धि के हेतुभूत आवश्यकसूत्र की आराधना के लिए सर्वप्रथम गुरु महाराज से आज्ञा ली जाती है। आज्ञा से पूर्व गुरु को वन्दन करना चाहिए। अतएव सर्वप्रथम वन्दन-सूत्र द्वारा गुरु महाराज को वन्दन किया जाता है
In order to practice Avashyak Sutra for purification of self, first of all the permission of the spiritual master is obtained. Before seeking such permission one should salute his spiritual teacher. So this salutation to the master is done first of all with the verse termed as Vandan Sutra.
वन्दन-सूत्र तिक्खुत्तो, आयाहिणं, पयाहिणं, करेमि, वंदामि, नमसामि, सक्कारेमि,
सम्माणेमि, कल्लाणं, मंगलं, देवयं, चेइयं, पज्जुवासामि, मत्थएण वंदामि।
भावार्थ: गुरुदेव! मैं दोनों हाथ जोड़कर दाहिनी ओर से प्रारंभ करके पुनः दाहिनी ओर तक तीन बार आपकी प्रदक्षिणा करता हूं। आपको वन्दना करता हूं, नमस्कार करता हूं, आपका सत्कार और सम्मान करता हूं। आप कल्याणरूप हैं, मंगलस्वरूप हैं, देव स्वरूप हैं एवं चैत्य-ज्ञानस्वरूप हैं। मैं आपकी पर्युपासना-सेवा-भक्ति करता हूं एवं मस्तक झुकाकर आपके चरण-कमलों में वन्दन करता हूं।
Reverend Master! I, with folded hands, starting from the right moving around you coming again to your right, greet you thrice. I praise you, bow to you; honour you and respect you. You are compassionate, ominous, godly and citadel of spiritual knowledge. I serve you, offer my devotion towards you and bow at your feet.
आवश्यक सूत्र
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Ist Chp. : Samayik a mraparaasasurparaganganagagaranasagas