________________
भावार्थ : (शरीर, रसना, घ्राण एवं नेत्र, इन चार इन्द्रिय वाले जीव चतुरिन्द्रिय कहलाते हैं।) इन जीवों के विषय में यदि मैंने अतिचारों का सेवन किया हो तो उसकी आलोचना करता हूं। प्रमुख चतुरिन्द्रिय जीव, जैसे कि-मक्खी, मच्छर, भंवरा, भंवरी, टिडा, पतंगिया, बिच्छू आदि जीवों की विराधना मैंने स्वयं की हो, कराई हो, करते हुओं को अच्छा जाना हो, तो मेरा वह पाप निष्फल हो। वैसा दुष्कृत मैं पुनः नहीं करूंगा।
Self Criticism of Violence to Four-Sensed Beings: I feel sorry for any violence caused by me to four-sensed beings—mosquito, bumble-bee, grasshopper, locust, light worm, scorpion, fire worm and the like are various forms of four-sensed beings. I might have caused, got caused or supported violence to such beings during the day. I curse myself for the same. I may be absolved of that sin.
पञ्चेन्द्रिय अतिचार आलोचना __पंचेन्द्रिय के विषय में जे कोई अतिचार लागा होय ते मैं आलोउं, पंचेन्द्रियजलचर, थलचर, खेचर, उरपुर, भुजपुर, सण्णी, असण्णी, गरभेजक चौदह ठिकाणे छम-छम मनुष्य पंचेन्द्रिय प्रमुख की विराधना करी होय, कराई होय, करतां प्रति अनुमोदी होय, जो मे देवसि अइयारो कओ तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।
भावार्थ : (शरीर, रसना, घ्राण, चक्षु एवं श्रोत्र (कान), इन पांच इन्द्रियों वाले जीव पंचेन्द्रिय कहलाते हैं।) पांच इन्द्रिय वाले जीवों के विषय में यदि कोई अतिचार लगा हो, तो मैं उसकी आलोचना करता हूं। पांच इन्द्रिय वाले जीव, जैसे कि-जल में चलने वाले मछली आदि, स्थल-भूमि पर चलने वाले पशु आदि, आकाश में उड़ने वाले पक्षी आदि, पेट के बल चलने वाले सर्प आदि, भुजाओं के बल चलने वाले नेवला, गिलहरी आदि, समनस्क एवं अमनस्क प्राणी, गर्भ से उत्पन्न होने वाले प्राणी, तथा खेल-प्रस्रवण आदि चौदह स्थानों में उत्पन्न होने वाले सम्मूर्छिम जीव ऐसे पंचेन्द्रिय प्रमुख जीवों की यदि मैंने विराधना की हो, दूसरों से विराधना करायी हो, एवं विराधना करने वालों को अच्छा जाना हो तो उससे उत्पन्न पाप मेरे लिए मिथ्या हो।
Self-Criticism of Violence to Five-Sensed Beings: I feel sorry for any violence caused by me to five-sensed beings. Aequatic animals moving on the land, birds, creeping animals, animals moving with their arms, crawling on their b animals with developed mind, animals not possessing mental faculty, animals taking birth from the womb of their mothers, beings generating from fourteen places of
प्रथम अध्ययन : सामायिक
// 54 //
Avashyak Sutra