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The intention of breaking any vow is Ati-kram.
To prepare oneself for breaking a vow is called Vyati-kram.
To collect material for breaking a vow or to partially break a vow is called Atichaar.
To completely break the vow is anachar Self-introspection (Pratikraman) with a faithful bent of named purifies the faults committed upto the level of atichaar. If any vow has been completely broken, one has to accept punishment (prayashechit) for the same.
सामूहिक अतिचार आलोचना
इच्छामि आलोइयं - जो मे देवसि अइयारो कओ-काइओ, वाइओ, माणसिओ, उस्सुत्तो, उम्मग्गो, अकप्पो, अकरणिज्जो, दुज्झाओ, दुचिंतिओ, अणायारो, अणिच्छियव्वो, असमणपावग्गो, नाणे तह दंसणे, चरित्ते, सुय, सामाइए, तिन्ह गुत्तीणं, चउन्हं कसायाणं, पंचण्हं महव्वयाणं, छण्हं जीवनिकायाणं, सत्तण्हं पिंडेसणाणं, अठण्हं पवयण माऊणं, नवण्हं बंभचेर-गुत्तीणं, दसविहे समणधम्मे, समणाणं जोगाणं जं खंडियं, जं विराहियं जो मे देवसि अइयारो कओ तस्स मिच्छा
दु
(सूचना : इस पाठ का भावार्थ पीछे पृष्ठ 27 पर दिया जा चुका है ।) (The meaning of it is already given at Page 27 )
श्रुत अतिचार आलोचना
सब सब देवसियं, दुचिंतियं, दुभासियं, दुचिट्ठियं, दुपालियं, अधिका, ओछा, काना मात्र विपरीत कया होय, जो मे देवसि अइयारो कओ तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।
भावार्थ : भगवान् की आज्ञा के प्रतिकूल यदि किसी भी प्रकार का अनुचित चिन्तन या भाषण किया हो, कम, अधिक बोला हो, विपरीत प्ररूपणा की हो तो उक्त अतिचार से मैं पीछे हता हूं। मेरा वह दुष्कृत मिथ्या हो ।
Central Idea: In case I have in any manner had improper reflection or utteance using words or spoken excessively or interpreted scriptures different from what the omniscient meant, I feel sorry for the same and withdraw myself from those faults. May I be absolved of that bad conduct.
आवश्यक सूत्र
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Ist Chp. : Samayik