Book Title: Agam 28 Mool 01 Aavashyak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 259
________________ @Sksssssssssssssssssssssssssssssssssಒಳಜಗ चौविहार उपवास सूत्र उग्गयसूरे अभत्तट्ठ पच्चक्खामि, चउविहपि आहार-असणं, पाणं, खाइम, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पारिठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्ति-आगारेणं वोसिरामि। सूर्य के उदय होने से लेकर अभक्तार्थ अर्थात् उपवास की प्रतिज्ञा अंगीकार करता हूं। उसके लिए अशन, पान, खादिम और स्वादिम–चारों प्रकार के आहार का त्याग करता हूं। अनाभोग, सहसाकार, पारिष्ठापनिकाकार, महत्तराकार एवं सर्वसमाधिप्रत्ययाकार-उक्त पांच आगारों के सिवाय सभी प्रकार के आहार-पानी का त्याग करता हूँ। I undertake a resolve to accept fast since sunrise. I discard all the four types of article of consumption namely food, liquids, dry fruit and fragrant substances. Only five exceptions are in this resolve namely Anabhog, Sahasakar, Parishthapanikar, Mahattarakar and Sarva Samadhi Pratyayakar. विवेचन : अभत्तट्ठ का संस्कृत रूप है-अभक्तार्थं। भक्त का अर्थ है भोजन। जिस - साधना में किसी भी प्रकार के भोजन का कोई प्रयोजन न हो उसे अभक्तार्थ कहते हैं। ___ पूज्य आचार्य श्री आत्माराम जी महाराज के अनुसार-उपवास से प्रथम दिन एवं उपवास के आगामी दिन यदि एकाशना करनी है तो 'अभत्तह्र' के स्थान पर 'चउत्थभत्तं अभत्तळं' पाठ पढ़ना चाहिए। Exposition: In Sanskrit, the word abhattathum is interpreted as abhaktarthum. Bhakt means food. The austerity in which food of any type is taken is called abhaktarth. • According to Acharya Atmaram Ji, in case ekasana is observed on the day preceding this austerity and also on the day succeeding it the word 'Chauthebhattum abhattathum should be recited in the sutra instead of abhattathum. तिविहार उपवास सूत्र उग्गयसूरे अभत्तठें पच्चक्खामि, तिविहपि आहार-असणं, खाइम, साइम, अन्नत्थऽणाभोगेणं, सहसागारेणं, पारिट्ठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरामि। आवश्यक सूत्र // 185 // 6th Chp. : Pratyakhyan

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