Book Title: Agam 28 Mool 01 Aavashyak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 304
________________ ಶಕಶಕಶಕಶಳರಳಳಬಳಕಳಶಗಳ Lagelasaksksksks sksksvlessle skesiccakesekskskskskskskskskskskskskskskskskskskskickaslesale skesakskskskskarge ways (mentally, orally and physically) and in two forms namely, telling and getting told a lie, I shall not incite others to tell a lie. There are five likely faults that may occur in practicing this vow of non-stealing. It is important to know them but one should not adopt them in his conduct. They are as follows. (1) To speak without proper thinking or to cast an aspersion (or blame on other suddenly) (2) To divulge one's secret to others. (3) To disclose secret talk between husband and wife. (4) To inspire others to tell a lie. (5) To write false versions. I feel sorry in case I may have committed any one of the above five faults. May my fault be condoned. विवेचन : दृश्यमान जगत में मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जिसके पास अपनी एक विकसित भाषा है। भाषा के विकास से ही मनुष्य ने इतना विकास किया है। भाषा एक बड़ी शक्ति है। उस शक्ति का उपयोग सृजन और विध्वंस दोनों ही तरह से किया जा सकता है। मनुष्य अपने वचन-व्यापार के बल पर अपना और दूसरों का बहुत हित भी कर सकता है और बहुत नुकसान भी कर सकता है। श्रावक को वचन-व्यवहार किस विधि से करना चाहिए, कैसे वचन नहीं बोलने चाहिएं, यही तथ्य उसके द्वितीय अणुव्रत के आधार हैं। ___'झूठ बोलना' एक बुराई है। अपने स्वार्थ को साधने के लिए ही व्यक्ति झूठ बोलता है। के झूठ बोलने से व्यक्ति का अपना स्वार्थ तो सध जाता है, परन्तु उससे दूसरों का अहित भी हो जाता है। 'स्थूल मृषावाद विरमण व्रत' का यही अभिधेय है कि श्रावक को ऐसा झूठ कदापि नहीं बोलना चाहिए जिससे दूसरों का अहित हों अथवा किसी के प्राणों का नुकसान हो। बच्चों को बहलाने के लिए, अथवा रोजगार हेतु आटे में नमक के तुल्य सूक्ष्म असत्य बोलने का विकल्प श्रावक के लिए खुला है। क्योंकि संपूर्ण सत्य बोलते हुए व्यापारिक जीवन का निर्वाह संभव नहीं हो पाता है। व्यापारी को चार आने की वस्तु को पांच आने की कह कर बेचना पड़ता है। इतना असत्य सूक्ष्म असत्य की श्रेणी में आता है। चार आने की वस्तु को आठ आने की कहकर बेचना, नकली वस्तु को असली कहकर बेचना एवं असली वस्तु में मिलावट करके बेचना, ये कर्म स्थूल झूठ की श्रेणी में आते हैं, ऐसा करने से श्रावक का द्वितीय व्रत दूषित हो जाता है। चतुर्थ अध्ययन : प्रतिक्रमण // 230 // Shravak Avashyak Sutra parmanarasaaranaprapannapuranaaraaparasaaraamarparams Paeletesakestastseeks talasheskosekesesekesakestastesselessedesdeskestatesetteseakskskestaste deskskskskecoda skesakskotkekskskskskskskskata

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