Book Title: Agam 28 Mool 01 Aavashyak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 311
________________ ಣಿಗಳಗಳನೇಕಶಳಳಜಗಳಗಳ Sankashtakkabakkukkkkkkkalak aans पोतानुं करी परिग्रह राखवाना पच्चक्खाण जावजीवाय, एगविहं तिविहेणं न करेमि मणसा, वयसा, कायसा। एहवा पांचमा थूल-परिग्रह-परिमाण व्रत ना पंच अइयारा जाणियव्वा न समायरियव्वा, तं जहा ते आलोउं-1. खित्तवत्थुप्पमाणाइक्कमे, 2. हिरण्णसोवण्णप्पमाणाइक्कमे, 3. धनधाण्णप्पमाणाइक्कमे, 4. दुप्पदचउप्पदप्पमाणाइक्कमे, 5. कुवियधातुप्पमाणाइक्कमे, जो मे देवसि अइयारो कओ तस्स मिच्छा मि दुक्कडं। भावार्थ : 'परिग्रह परिमाण' नामक पांचवें अणुव्रत में स्थूल परिग्रह से निवृत्ति करता हूं। (1) क्षेत्र-वास्तु-खेत-खलिहान, बाग-बगीचे आदि क्षेत्र एवं घर, मकान, दुकान आदि वास्तु का जितना परिमाण किया है, (2) हिरण्य-सुवर्ण-सोने-चांदी, मणि-माणिक्य आदि का जितना परिमाण किया है, (3) धन-धान्य-रुपया, पैसा आदि धन एवं गेहूं, चावल आदि धान्य का जितना परिमाण किया है, (4) द्विपद-चतुष्पद-दास-दासी आदि द्विपद एवं गाय, भैंस, बैल आदि चतुष्पद का जितना परिमाण किया है, एवं (5) कुविय धातु-घर में उपयोग आने वाली सभी वस्तुओं का जितना परिमाण किया है-उपरोक्त परिमाण के अतिरिक्त अन्य किसी भी प्रकार के परिग्रह को रखने का एक करण एवं तीन योग से त्याग करता हूं। अर्थात् परिग्रह परिमाण अणव्रत ग्रहण करते हए मैंने जितने-जितने परिग्रह को अपने अधिकार में रखने का परिमाण किया था, उससे अधिक परिग्रह को मन, वचन एवं काय से त्यागता हूं। 'स्थूल परिग्रह परिमाण व्रत' के पांच अतिचार हैं, उन्हें जानना तो जरूरी है परन्तु उनका आचरण करना उचित नहीं है। पांच अतिचार इस प्रकार हैं-(1) क्षेत्र-वास्तु के परिमाण का अतिक्रमण, (2) हिरण्य-सुवर्ण के परिमाण का अतिक्रमण, (3) धन-धान्य के परिमाण का अतिक्रमण, (4) द्विपद-चतुष्पद के परिमाण का अतिक्रमण, एवं (5) घर में उपयोग होने वाली वस्तुओं के परिमाण का अतिक्रमण। उक्त अतिचारों में से यदि कोई अतिचार लग गया हो तो मैं उसकी आलोचना करता हूं। मेरा वह दुष्कृत निष्फल हो। Exposition: In practicing the fifth partial vow of limiting possessions (and attachment thereof), I withdraw from gross attachment. (1) I have decided a limit for my open land, buildings, orchards, fields, homes, ships (2) I have resolved to have gold, silver, jewellery only up to a certain limit. (3) I have undertaken a limit for possession of money and foodgrains such as wheat rice and the like. (4) I have decided a limit for my possession of animals and servants such as cows, buffalos, bullocks, maids employees. (5) I have also decided a limit about other different household articles - I undertake not to cross such limit in one form namely in crossing phalesale kesakskosekese ke salesdeskskske alseaksakeelsdeskosdeskskskskskskskskskskskskskskskedkateshesdesickasatelstskosdesisekesatssistakestasistered श्रावक आवश्यक सूत्र // 237 // IVth Chp.:Pratikraman

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