Book Title: Agam 28 Mool 01 Aavashyak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 225
________________ prasakssssssssslesslelesslesslesalesisekesakeshesnesslesiastesalesiastassistakestaneseleseseatsalesslessness lesslesheatree O Sidhas, In case I may have shown disrespect or lack of proper care towards you, I bow to you 1008 times uttering the lesson of Tikhuto'. You are ominous, excellent. May I have your blessing in this life-span and in succeeding life-span also. आचार्य-वन्दना गुण हैं छत्तीसपूर, धारत धरम उर, मारत कर्म क्रूर, सुमति विचारी है। शुद्ध सो आचारवन्त, सुन्दर है रूप कन्त, भणया सभी सिद्धान्त, वांचणी सुप्यारी है। अधिक मधुर वेण, कोई नहीं लोपे केण, सकल जीवों का सेण, कीरत अपारी है। कहत है तिलोकरिख, हितकारी देत सीख, ऐसे आचारज ताकू, वन्दना हमारी है॥3॥ . नमो आयरियाणं-तीजे पद श्री आचार्य महाराज, 36 गुणों सहित विराजमान, पांच आचार पालें, पांच महाव्रत पालें, पांच इन्द्रियां जीतें, चार कषाय टालें, नौ बाड शुद्ध शील पालें, पांच समिति, तीन गुप्ति से गुप्त, आठ संपदा-सहित, निश्चल समकिती, निकट भव्य, शुक्ल पक्षी, मोक्ष-मार्ग के सारथि इत्यादि अनेक गुणों से विराजमान उन आचार्य भगवंतों को मेरी भाव-वन्दना नमस्कार हो। ___ऐसे श्री आचार्य महाराज! आपकी अविनय-आशातना हुई हो तो हाथ जोड़ 1008 बार तिक्खुत्तो के पाठ से वन्दना-नमस्कार करता हूं। हे आचार्य महाराज! आप मांगलिक हो, उत्तम हो, आपका इस भव में परभव में बारम्बार शरणा हो।।3।। Reverend Acharyas: You have 36 virtues. Your heart is saturated with dharma. You are overcoming destructive karmas. You have noble bent of mind. Your conduct is chaste. You are beautiful and lovely. You know all the essence of scriptures and fundamental principles. Your discourse is enchanting. Your voice is sweet. You do not canceal anything. You provide protection to all the living beings. Your respect (fame) is immense. Tilok Rishi says that you also give worthy guidance'. I bow to such Acharya with great devotion. आवश्यक सूत्र ਵਰਲਡ // 153 // IVth Chp.: Pratikraman ਰਜੂਰਰਰਰਰਰਰਰਰਰਰਰਰਰਰ ਸੂਬਸੂਰਤ

Loading...

Page Navigation
1 ... 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358