Book Title: Agam 28 Mool 01 Aavashyak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 247
________________ प्रत्याख्यान के पाठ Lesson of Pratyakhyan (1) नमस्कार पूर्वक मुहूर्त्त प्रत्याख्यान सूत्र उग्गयसूरे नमुक्कार सहियं पच्चक्खामि चउव्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं, अन्नत्थऽणाभोगेणं, सहस्सागारेणं वोसिरामि । भावार्थ : सूर्य उदय होने के बाद दो घड़ी (48 मिनिट) तक के लिए नमस्कार सहित अर्थात् जब तक नमोकर मंत्र पढ़ कर प्रत्याख्यान पार न लूं तब तक के लिए अशन, पान, खादिम और स्वादिम रूप चारों प्रकार के आहार का त्याग करता हूं। अत्यन्त विस्मृति के कारण तथा सहसा कोई अन्न-जल का कण मुख में आ गिरे इन दो आगारों के सिवाय चारों आहारों का त्याग करता हूं। - Navakarsi-After sunrise, I undertake pratyakhyan that I shall not take any food, liquid, sweets or fragrant thing. Thus, I discard these things for 48 minutes till I shall recite Namokar mantra. The only exceptions are that due to extreme loss of memory I may not forget this resolve or suddenly any particle or drop of water may drop in my mouth. With said exceptions, I make a resolve for not taking any of the four types of articles of consumption for the above mentioned period. विवेचन : इस प्रत्याख्यान में 'नमोक्कार - सहित' जो पद जुड़ा है उसी के कारण इसे 'नवकारसी' कहा जाता है। साधक प्रतिज्ञा करता है कि जब तक नमोकार मंत्र न पढ़ लूं तब तक मेरा प्रत्याख्यान पूर्ण नहीं होगा। इसमें समय संबंधी कोई संकेत नहीं दिया गया है। परन्तु परम्परागत मान्यतानुसार इस प्रत्याख्यान के लिए दो घड़ी का समय सर्वत्र मान्य है। अनादि पदों का अर्थ है (1) अशन न-रोटी, चावल, हलवा, पूड़ी आदि अन्न से उत्पन्न होने वाले पदार्थ। (2) पान - दूध, लस्सी, जूस, जल आदि समस्त पेय पदार्थ । तिविहार, चौविहार आदि प्रत्याख्यानों तथा तपों में 'पान' शब्द से केवल जल का ही ग्रहण करना चाहिए। (3) खादिम - बादाम, अखरोट आदि सूखे मेवे । (4) स्वादिम-मुख को स्वादिष्ट करने वाले लौंग, इलायची, चूरन, चटनी आदि। आगार-आगार का अर्थ है - छूट। नवकारसी में दो आगार रखे गए हैं 6th Chp. : Pratyakhyan आवश्यक सूत्र // 173 //

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