Book Title: Agam 28 Mool 01 Aavashyak Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni
Publisher: Padma Prakashan

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Page 255
________________ ಳಣಿಕೆಗಳಲ್ಲಿ ಗ sseಳHರ್ಣಿಣಿ Bagekolkskskeleelkskskskeliasleelkskskskele skskskskeleelkekskskeedesksikeseksksksksksksksksksksksketa प्रस्तुत सूत्र में सागारिकाकार, आकुंचन-प्रसारण एवं गुर्वभ्युत्थान-इन तीन नवीन आगारों का उल्लेख है। इनके भावार्थ पूज्य आचार्य श्री आत्माराम जी महाराज ने इस प्रकार किये हैं सागारियागारेणं-सागारिक शब्द का अर्थ है गृहस्थ। साधु को गृहस्थ के सामने भोजन नहीं करना चाहिये, अत: परिस्थितिवश यदि साधु-साध्वी को गृहस्थ के आ जाने पर एक स्थान पर बैठ कर ही भोजन करने की प्रतिज्ञा करके भी यदि उठना पड़ जाय तो इस से एकासन-व्रती साधु-साध्वी का व्रत भंग नहीं होता। यह सूत्र एकासन-व्रती गृहस्थ भी पढ़ता है, अतः गृहस्थ पक्ष में सागारिक शब्द का अर्थ ऐसा व्यक्ति होता है जो स्वभावतः क्रोधी, लम्पट एवं अन्य अवगुणों से युक्त हो। ऐसे व्यक्ति के आने पर एकासन व्रती गृहस्थ एकासन की प्रतिज्ञा होते हुए भी अन्यत्र जाकर भोजन कर सकता है, इससे उसका व्रत भंग नहीं होता। - आउंटण-पसारणेणं-(आकुंचन-प्रसारणेन)-एकासना व्रती साधक भोजन करते समय हाथ-पैर आदि अंगों को हिला-चला कर यदि अवस्थान- स्थिति को बदल लेता है तो उसका व्रत भंग नहीं होता, परन्तु उसे उस स्थान से उठना नहीं चाहिये। - गुरु-अब्भुट्ठाणेणं-(गुर्वभ्युत्थानेन)-गुरु जनों-पूज्य जनों के आ जाने पर यदि एकासन व्रती साधक उनके सम्मानार्थ उठ कर खड़ा हो जाता है तो भी उसका व्रत-भंग नहीं होता। प्रस्तुत सूत्र को यदि गृहस्थ पढ़े तो उसे “पारिट्ठावणियागारेणं" यह पाठ नहीं पढ़ना चाहिये, क्योंकि उसके लिये यह आगार विहित नहीं है। Exposition: Ekasan is also called ekashan, Ekasan means to sit firm at one place in one position while taking meals, Ekashan means to take meals only once during the day. So both the words are almost synonymous. In this sutra there are three new exceptions namely Sagarikar, Aakunchanprasaran and Gurvbhayathunum. Acharaya Atmaram Ji Maharaj has interpreted them as under: Sagariyagaarenum: The word Sagarik means a householder. A monk should not consume anything in presence of the householder. In case there arises a situation when a monk or nun who has taken the pratyakhan to take meals, sitting at one place, moves away from there on the arrival of a householder, his resolve may not be considered as disturbed. The sutra is recited even by a householder when he practices ekasan. So, in case of such a householder, the word Sagarik shell mean arrival of such a person .......... ಶ Q.ಶಬ.......... आवश्यक सूत्र asse // 181 // 6th Chp. : Pratyakhyan p araPagesamayapages

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