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impurity are various types of five-sensed beings. I might have caused, got caused or supported violence to such beings during the day. I curse myself for the same. May my sin be pardoned.
The living beings that possess sense of touch, sense of taste, sense of smell, sense of sight and sense of hearing are called five-sensed beings. Mangoose, squirrel, snakes, cattle, birds, fish and the like are five-sensed beings. I curse myself for any violence caused, got caused or supported by me.
सत्य महाव्रत अतिचार आलोचना
बीजे महाव्रत के विषय में जे कोई अतिचार लागा होय ते मैं आलोउं, क्रोधे करी, लोकरी, भयकरी, हासे करी, क्रीडे करी, कुतूहले करी, रागे करी, द्वेषे करी, मृषावाद झूठ बोल्या होय, बोलवाया होय, बोलतां प्रति अनुमोद्या होय, जो मे देवसि अइयारो कओं तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।
भावार्थ : ('सत्य' साधु का द्वितीय महाव्रत है।)
सत्य महाव्रत के विषय में यदि मुझे कोई दोष लगा हो, तो मैं उसकी आलोचना करता हूं। यदि मैंने क्रोध, लोभ, भय, हास्य, क्रीड़ा, कौतूहल, राग, द्वेष आदि के वशीभूत होकर स्वयं झूठ बोला हो, दूसरों को झूठ बोलने के लिए प्रेरित किया हो, अथवा झूठ बोलने वालों का समर्थन किया हो तो मैं उस दोष से पीछे हटता हूं। मेरा दुष्कृत निष्फल हो ।
Self-Criticism for Deviation in Vow of Truth: I feel sorry for any deviation committed by me in practicing the second major vow of truth. In a fit of anger, greed, fear, laughter, cutting joke, passing on remarks, attachment or hatred I may have told a lie, got told a lie or supported one who has made a false statement. I curse myself for the same and seek pardon.
The second major vow of a monk is the vow of practicing truth.
.अदत्तादान विरमण महाव्रत अतिचार आलोचना
तीजे महाव्रत के विषय में जे कोई अतिचार लागा होय ते मैं आलोउं - देव - अदत्त, गुरु-अदत्त, राय- अदत्त, गाहावई - अदत्त, सहामीय- अदत्त, पांच अदत्तादान माहेला अनेरा अदत्तादान लीधा होय, मूक्या होय भोग्या होय, भोगाया होय, भोगतां प्रति अनुमोद्या होय - जो मे देवसि अइयारो कओ तस्स मिच्छा मि दुक्कडं ।
Ist Chp. : Samayik
आवश्यक सूत्र
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