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भावार्थ : (बिना दी हुई वस्तु को ग्रहण न करना, दी हुई प्रासुक वस्तु को संतोषपूर्वक ग्रहण करना, यह 'अदत्तादानविरमण' महाव्रत है | )
अदत्त त्याग रूपी तृतीय महाव्रत के विषय में यदि मुझसे कोई भूल हुई है तो मैं उसकी आलोचना करता हूं। देव ( धर्माचार्य), गुरु, राजा, गाथापति (सेठ), एवं साधर्मी, इन पांचों द्वारा अदत्त वस्तु, अथवा कोई भी अदत्त वस्तु यदि मैंने ली हो, उसका स्वयं उपभोग किया हो, दूसरों से उपभोग कराया हो एवं उपभोग करने वालों को अच्छा जाना हो, तो उक्त आचार से उत्पन्न मेरा दोष निष्फल हो। उस दोष से मैं पीछे हटता हूं।
Self Criticism of Deviation in Practice of Vow of Non-Stealing: I curse myself for any fault committed in practice of the third major vow of non-stealing. Stealing is of five types-taking a thing not offered by angel, teacher, ruler, noble man, or one of the same faith. In case I may have taken anything of such five persons without their permission, or enjoyed or made use of any thing belonging to them in that manner or appreciated any such stealing during the last one day, I curse myself for the same. May I be absolved of that sin.
Explanation: Not to take anything which has not been offered and to accept patiently the acceptable thing that has been offered is called the major vow of nonstealing.
ब्रह्मचर्य महाव्रत अतिचार आलोचना
चौथे महाव्रत के विषय में जे कोई अतिचार लागा होय, ते मैं आलोउं-कामराग, स्नेहराग, दृष्टिराग, देवता- देवी सम्बन्धी, मनुष्य - तिर्यञ्च सम्बन्धी माठा योग प्रवरताया होय, नव प्रकार का औदारिक सम्बन्धी, नव प्रकार का वैक्रिय सम्बन्धी, अठारह प्रकार का मैथुन सेव्या होय, सेवाया होय, सेवतां प्रति अनुमोद्या होय, जो मे देवसि अइयारो कओ तस्स मिच्छामि दुक्कडं |
भावार्थ : (तीन करण, तीन योग से कुशील चिन्तन सेवन का त्याग करना ब्रह्मचर्य महाव्रत है।) ब्रह्मचर्य महाव्रत के संबंध में यदि मुझे कोई दोष लगा है तो मैं उसकी आलोचना करता हूं। यदि मैं कामराग, नेहराग, दृष्टिराग-इनमें से कोई राग किया हो, देव-देवी, मनुष्य एवं तिर्यंच संबंधी भोगों की कामना की हो, नौ प्रकार के औदारिक संबंधी एवं नौ प्रकार के वैक्रिय संबंधी-ऐसे अठारह प्रकार के मैथुन का मैंने स्वयं सेवन किया हो, दूसरों को इसके लिए प्रेरित
प्रथम अध्ययन : सामायिक
Avashyak Sutra
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