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a monk. In the current aphorism, self-criticism of faults committed in this context has been made.
I curse myself for any lack of discrimination in observing the procedure laid down in the code for handling such articles.
In case I may have picked up any cloth, pot or other article of use without properly examining it and wiping it with the ascetic broom (rajoharn). I may have placed it on the ground or made use of it myself or got it used by others or appreciated those who use it without proper discrimination. I might not have examined them at the prescribed time in the prescribed manner as laid down in the code. I withdraw myself from the faults arising out of that absence of discrimination. May I be absolved of them.
परिष्ठापनिका समिति अतिचार आलोचना
उच्चार-प्रस्त्रवण, खेल- जल्ल-मल-सिंघाण परिठावणिया समिति के विषय में जे कोई अतिचार लागा होय ते मैं आलोउं, उच्चारादि बिना पूंजे बिना पडिलेहे परठव्या हो, परठाया हो, परठतां प्रति अनुमोद्या होय, परठ के वोसिरे वोसिरे न करी होय, जावता आवस्सही 2, आवता निस्सही 2 न करी होय, थोड़ी भूमिका पडिलेही घणी भूमिका उपरि परठव्या होय, जो मे देवसि अइयारो कओ तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।
भावार्थ : (मल, मूत्र, कफ, शरीर का मैल, खण्डित पात्र (जिनका उपयोग संभव न हो), आदि पदार्थों को परठने (निरवद्य स्थान पर गिराने) को परिष्ठापनिका समिति कहते हैं। इस समिति के संबंध में श्रमण चिन्तन करता है - )
उच्चार, प्रस्रवण, खेल (श्लेष्म), जल्ल, मल, सिंघाण आदि के परठने के संबंध में यदि कोई दोष लगा हो, तो मैं उसकी आलोचना करता हूं। उच्चार आदि पदार्थों को स्थण्डिल भूमि ( परठने योग्य अचित्त भूमि) का अच्छी प्रकार से निरीक्षण किए बिना, पूंजे बिना परठा हो, दूसरों से परठवाया हो एवं परठने वालों की प्रशंसा की हो, परठने के पश्चात् 'वोसिरामि' न कहा हो, उपाश्रय से बाहर जाते हुए 'आवस्सही - आवस्सही' एवं पुनः उपाश्रय में प्रवेश करते हुए 'निस्सही निस्सही' इन शब्दों का उच्चारण न किया हो, थोड़ी भूमि का प्रतिलेखन किया और अधिक भूमि पर उच्चार आदि परठे हों, तो उपरोक्त दोषों के लिए 'मिच्छामि दुक्कड' करता हूं। उक्त दोष मेरे लिए मिथ्या हों।
प्रथम अध्ययन : सामायिक
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Avashyak Sutra