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adislesalelesedlesslesesekseesekeseksiseksee ರ್ಶಯಣಿ..ಶೇಶಣಿಗಳೆಣಿಸಬೇಳೆಬೇಳೆಬೇಳೆಬೇಳೆ
10. Duthu-padichhiyum: The disciple might have studied scripture with evil
intention. 11. Akalay kao sajjhao: I might have studied scriptures at the improper time. 12. Kaley na kao sujjhao: I might not have studied scriptures at the proper
time meant for that study. 13. Asajjhaiye sajjhaujam: I might have studied scriptures at the time not
meant for it.. 14. Sajhjhaiye ch saijhayum: I might not have studied scriptures at the time
prescribed for such study. विवेचन : आगम तीन प्रकार का है-(1) सूत्रागम-तीर्थंकर के प्रवचन को सुनकर गणधर उसे सूत्रबद्ध करते हैं। उसी सूत्र रूप मूल पाठ को सूत्रागम कहा जाता है। (2) अर्थागम-तीर्थंकरों द्वारा उपदिष्ट-प्रतिपादित अर्थ रूप उपदेश को अर्थागम कहा जाता है। (3) तदुभयागम-जिसमें मूल सूत्र और अर्थ का प्रतिपादन हो उसे तदुभयागम कहा जाता है। ___ज्ञान के चौदह अतिचारों में अंतिम चार की अर्थ स्पष्टता इस प्रकार है
अकाले कओ सज्झाओ-अकाल में स्वाध्याय किया हो। जिन आगमों के लिए अध्ययन का काल सुनिश्चित हो उन्हें कालिक सूत्र कहते हैं। शेष को उत्कालिक कहते हैं। जिस सूत्र के लिए स्वाध्याय का जो समय निर्धारित है, उस समय का उल्लंघन करके स्वाध्याय करना अकाल-स्वाध्याय कहलाती है, जो दोषपूर्ण है।
काले न कओ सज्झाओ-स्वाध्याय के लिए निर्धारित समय में स्वाध्याय न करने से यह अतिचार लगता है। ___असज्झाइए सज्झायं-आगमों में 32 अनध्यायों का वर्णन है। उक्त अनध्याय के प्रसंगों की स्थिति में स्वाध्याय करने से यह अतिचार लगता है।
सज्झाइए न सज्झायं-अनध्याय न होने पर भी प्रमादवश स्वाध्याय न करना, उक्त अतिचार का परिचायक है।
Elaboration: Scriptural (Agams) study is of three types: 1. Suttagam: Gandhars listen to the lecture delivered by Tirthankar and then
reproduce it in the form of Sutra (aphorism). This version is called
Suttagum. 2. Atthagum: The substance delivered by tirthankars in their lecture is called
Arthagum.
आवश्यक सूत्र
appea
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Ist Chp.: Samayik appeaparappaparnagasanapores
reranama