________________
Forsakess skskskskskskskskskskskskskskskslaskskskskcahrakestrakaskskskskskskskele skesesesksee
a state of remorse or anger. I might have had evil thoughts. I might have done any act not in line with ascetic code. I might have committed any fault in respect of right knowledge, right perception, right conduct, scriptural knowledge, practice of Samayik, and three stoppers (guptis). I might not have controlled four passions. I might have incurred slackness in practice of five major vows and in providing protection (or compassion) to six types of living being. I might have partially transgressed in practice of seven principles relating to collection of food (pindaishana), eight pravachan maata (five samitis and three guptis), nine principles relating to celibacy, ten types of ascetic dharma and in practice of ascetic conduct. I might have gone astray from spiritual code. I pray that that I may he absolved of the sin arising out of such wrong deed.
विवेचन : इस सूत्र में पूरे प्रतिक्रमण का सार समाहित है। साधु का पूरा जीवन नियमों और मर्यादाओं से रक्षित होता है। परन्तु प्रमाद आदि के कारण नियमों में दोषों की संभावना बनी ही रहती है। साधु पुनः पुनः अप्रमाद की साधना करता है और संभावित भूलों का प्रतिक्रमण द्वारा शोधन करता है।
प्रस्तुत सूत्र के माध्यम से साधक अपने आचरण का अवलोकन करता है। वह स्मरण करता है कि उसके ज्ञान, दर्शन, चारित्र में कहीं दोष तो नहीं लगा, उसने सूत्र-विरुद्ध और वीतराग मार्ग-विरुद्ध कोई आचरण तो नहीं किया। दुर्ध्यानों और कषायों में तो उसका मन नहीं भटका। गुप्तियों के आराधन, महाव्रतों के पालन, षड्जीवनिकाय के रक्षण में उससे प्रमाद तो नहीं हुआ। इसी प्रकार सात पिण्डैषणाओं, आठ प्रवचन माताओं, ब्रह्मचर्य की नौ गुप्तियों, दस प्रकार के श्रमण-धर्म तथा श्रमण-संबंधी समग्र आचार के पालन में कोई दोष तो उत्पन्न नहीं हुआ। यदि अंशरूप अथवा बहुरूप कोई दोष लगा हो तो वह “तस्स मिच्छामि दुक्कडं" द्वारा उससे पीछे हटने की प्रतिज्ञा करता है। ___तीन गुप्तियों से लेकर दस प्रकार के श्रमण-धर्म तक का सूत्र में उल्लेख हुआ है। उनका संक्षिप्त स्वरूप इस प्रकार है
तीन गुप्ति-(1) मन गुप्ति, (2) वचन गुप्ति, एवं (3) काय गुप्ति। चार कषाय-(1) क्रोध, (2) मान, (3) माया, और (4) लोभ।
पांच महाव्रत-(1) अहिंसा, (2) सत्य, (3) अस्तेय (अचौर्य), (4) ब्रह्मचर्य, एवं __(5) अपरिग्रह।
aolesalestatestostessksrterieslestestastrakarsakskskstatest artickskskskskske sath
Rakestastesaksksdesnessdessesksdestostestostotr
प्रथम अध्ययन : सामायिक
// 28 //
Avashyak Sutra
akates