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चित्र-परिचय -6
Illustration No. 6 संक्षिप्त प्रतिक्रमण सून यहाँ पूरे प्रतिक्रमण का संक्षिप्त स्वरूप प्रस्तुत किया गया है। प्रथम चित्र में साधक मन, वचन, काय से अतिचारों से पीछे लौटने का संकल्प करता है। आगे के चित्रों में प्रतीकों के माध्यम से उत्सूत्र आदि के स्वरूप को स्पष्ट किया गया है। - तृतीय चित्र में गौशालक के नियतिवाद नामक मोक्षमार्ग से विपरीत मार्ग यानि उन्मार्ग को
चित्रित किया गया है। - चतुर्थ चित्र में संभूत मुनि द्वारा चक्रवर्ती की ऋद्धि को देखकर निदान करने को दर्शाया है।
निदान आदि साधु के लिए निषिध हैं। - पांचवें चित्र में सुभद्रा आर्या को बालकों को खिलाते-खेलाते दिखाया है। साध्वी के लिए यह न
करने योग्य कर्म है। - छठे चित्र में कुण्डरीक मुनि साधु-धर्म को छोड़कर घर लौटने का विचार दुर्ध्यान) कर रहा है। - सातवें चित्र में नंद मणिकार के बावड़ी में आकर्षण को चित्रित किया गया है। आठवें और नौवें
चित्रों में क्रमशः भूता आर्या और लक्ष्मणा आर्या के संयम के विपरीत आचार-विचार को दर्शाया गया है। अंतिम चित्र में श्रमणाचार की खण्डना-विराधना आदि के चिंतन के साथ दोषों के मिथ्या होने की कामना की गई है।
Repentance Sutra in Brief The brief mode of full pratikraman has been presented here. In the first illustration the practiser resolves to withdraw from the excessive motions of mind, speech and body. In the next illustrations the modes of Utsutras have been clarified through symbols. - In the third picture the "Niyativad" of Goshalak, the opposite way from the way
to liberation, has been illustrated. - in the fourth illustration Sambhut Muni has been shown
contemplating of “Nidan" through seeing the extraordinary wealth of supreme lord (Chakravarti), “Nidan" etc. are improper for an ascetic. In fifth illustration Subhadra nun has been shown feeding and getting the children played, For a nun this kind of activity is prohibited. In the sixth illustration Kundrik Muni has been illustrated who contemplates to go back home embarrassing from the problems of monk's life. In the seventh picture the infatuation of Nand Manikar towards the (Bawali), a deep tank with steps has been illustrated. In eighth and nineth illustration the of
the nuns Bhuta and Lakshmana in opposition to restraint have been shown. - In the last illustration with the thought of the refutation of sagacity the faults to be made false has been desired.
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