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संक्षिप्त प्रतिक्रमण सूत्र
इच्छामि ठामि काउस्सग्गं जो मे देवसिओ अइयारो कओ, काइओ, वाइओ, माणसिओ, उस्सुत्तो, उम्मग्गो, अकप्पो, अकरणिज्जो, दुज्झाओ, दुचिंत्तिओ, अणायारो, अणिच्छियव्वो, असमण - पावग्गो, णाणे तह दंसणे, चरित्ते सुय सामाइए, तिन्ह गुत्तीणं, चउन्हं कसायाणं, पंचण्हं महव्वयाणं, छण्हं जीवनिकायाणं, सत्तण्हं पिंडेसणाणं, अट्ठण्हं पवयणमाऊणं, नवण्हं बंभचेर गुत्तीणं, दसविहे समण - धम्मे, समणाणं जोगाणं जं खंडियं जं विराहियं । जो मे देवसि अइयारो कओ तस्स मिच्छामि दुक्कडं।
भावार्थ : (कायोत्सर्ग में प्रवेश का इच्छुक साधक दिवस - संबंधी संभावित दोषों से पीछे हटने की प्रतिज्ञा करता है - )
मैं दिवस संबंधी अतिचारों से निवृत्त होने के लिए कायोत्सर्ग करना चाहता हूं। मैंने मन, वचन, काय, संबंधी किसी अतिचार का सेवन किया हो, उत्सूत्र ( आगम विरुद्ध) की प्ररूपणा की हो, उन्मार्ग ( वीतराग मार्ग के विपरीत) को ग्रहण किया हो, अकल्पनीय और अकरणीय कार्य किया हो, आर्त्त एवं रौद्र ध्यानों को ध्याया हो, दुष्ट चिन्तन किया हो, अनाचार का सेवन किया हो, नहीं चाहने योग्य को चाहा हो, साधु-धर्म के विपरीत काम किया हो, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, श्रुत, सामायिक तथा तीन गुप्ति के विषय में कोई अतिचार सेवन किया हो, चार कषायों का दमन न किया हो, पांच महाव्रतों के पालन एवं छह जीवनिकायों की रक्षा में प्रमाद किया हो, सात पिण्डैषणाओं, आठ प्रवचन-माताओं, नवविध ब्रह्मचर्य गुप्तियों, दशविध श्रमण-धर्म तथा श्रमण संबंधी योगों (कर्त्तव्यों) का देशतः खण्डन किया हो अथवा विराधना की हो, तो उससे उत्पन्न पाप मेरे लिए निष्फल हों।
Literal Meaning: (The disciple desirous of practicing meditation (Kayotsarg) makes, a resolve in this manner to discard the possible faults that may occur during the day).
I want to do Kayotsarg in order to cleanse myself from digressions in the daily conduct. I might have committed any digression mentally, orally or physically. I may have interpreted scriptures different from the one enunciated by the omniscient. I may have practiced different from that laid by the omniscient. I might have done an act that should not have been done or that which is tabooed. I might have passed through
Ist Chp. : Samayik
आवश्यक सूत्र
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