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pakeskeakeoskele ske skeletalskele ske skesakse alsoke skcakestasaicsicshe skewisheshe sale ske slesale skeslesalelesalesale slesslesalesiaslege
उपाध्यायः जो स्वयं आगम-वाङ्मय के अधिकारी विद्वान हों एवं संघ के श्रमणों-श्रमणियों में को आगम ज्ञान प्रदान करने में कुशल हों, उन्हें उपाध्याय कहा जाता है। उपाध्याय ज्ञान के * देवता होते हैं। वे किसी अपेक्षा अथवा प्रतिदान की चाह के बिना ही ज्ञान दान द्वारा संघ को समृद्धि प्रदान करते हैं। इसीलिए वे नमस्कार के अधिकारी हैं।
साधुः ‘साधयति मोक्षमार्गमिति साधुः' मोक्ष-मार्ग की साधना में सतत संलग्न साधक को साधु कहा जाता है। अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य एवं अपरिग्रह-उक्त पांच महान व्रतों, एवं ईर्या आदि पांच समितियों और मन आदि तीन गुप्तियों के धारक साधु निःसंग भाव से लोक में विचरण करते हैं। पुष्पों को बिना कष्ट पहुंचाए जैसे भ्रमर उनसे रस ग्रहण करता है ऐसे ही निस्पृही और अपरिग्रही साधु गृहस्थों पर बिना भार डाले गोचरी द्वारा उदर-पोषण करते हैं। निष्काम भाव से जगत को धर्मोपदेश द्वारा सन्मार्ग का बोध देने वाले साधु सहज ही नमस्करणीय हैं।
ऐसो पंच नमोक्कारो...ये चूलिका पद हैं। इनमें नमोकार महामंत्र की महिमा का कथन किया गया है। बताया गया है कि पांच परमेष्ठियों को किया गया यह नमस्कार सभी पापों का नाश करने वाला तथा सभी मंगलों में प्रथम (प्रधान) मंगल है। ___मंगल दो प्रकार का होता है-द्रव्य मंगल एवं भाव मंगल। भौतिक लाभ के लिए किए . जाने वाले समस्त धार्मिक अनुष्ठान द्रव्य मंगल के अन्तर्गत आते हैं। आत्मस्वरूप की सिद्धि के लिए किए जाने वाले वन्दन-नमन-आराधन आदि आध्यात्मिक अनुष्ठान भाव मंगल हैं। यहां पांच परमेष्ठियों को किया गया नमस्कार साधक की विनम्रता और गुणपूजन की भावना का द्योतक है। इसलिए यह भाव मंगल है तथा समस्त मंगलों में प्रधान और कल्याण का हेतु है।
विधिः तत्पश्चात् अहिंसा की शुद्धि के लिए 'आलोचना सूत्र' का चिन्तन करें।
Explanation : Namaskar Sutra is the gist of fourteen poorvas. In it lies the very basis of 14 poorvas. Its special characteristic is that it is the great mantra acceptable everywhere. It does not belong to any particular order. In it there is worship of qualities, not any particular order and not any particular God liked by any sect.
Namaskar Sutra is also known as Panch Parmeshti Sutra because in it there is salutation to five types of great souls in the spiritual order. They are Arihantas, Siddha, Acharyas, Upadhayaya and monks.
Arihants : In the first sentence obeisence is paid to arihantas. Ari means enemy (in Prakrit) and hants means (killed, defeated or destroyed). So, Arihantas are those
प्रथम अध्ययन : सामायिक aaaaaa
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