Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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Maximum life-span of other immobile beings-The maximum lifespan of other immobile beings are-7 thousand years for water-bodied (apkaya), 3 days for fire-bodied (tejaskaya), 3 thousand years for airbodied (vayukaya) and 10 thousand years for plant-bodied (vanaspatikaya) beings. (Vritti, leaf 29) द्वीन्द्रियादि त्रस-चर्चा TWO-SENSED AND OTHER MOBILE BEINGS
[१७-१ ] बेइंदियाणं ठिई भाणियव्वा। ऊसासो वेमायाए।
[१७-२ ] बेइंदियाणं आहारे पुच्छा। अणाभोगनिव्वत्तिओ तहेव। तत्थ णं जे से आभोगनिव्वत्तिए से णं असंखेजसमइए अंतोमुहुत्तिए वेमायाए आहारट्टे समुप्पज्जइ। सेसं तहेव जाव अणंतभागं आसायंति।।
[१७-१] द्वीन्द्रिय जीवों की स्थिति कहनी चाहिए। उनका श्वासोच्छ्वास विमात्रा से (अनियत) है।
[१७-२ ] (तत्पश्चात्) द्वीन्द्रिय जीवों के आहार के विषय में इस प्रकार पृच्छा करनी चाहिए[प्र. ] भगवन् ! द्वीन्द्रिय जीवों को कितने काल में आहार की अभिलाषा होती है ?
[उ. ] अनाभोगनिर्वर्तित आहार (निरन्तर) समझना चाहिए। आभोगनिर्वर्तित आहार की अभिलाषा विमात्रा से असंख्यात समय वाले अन्तर्मुहूर्त में होती है। शेष सब वर्णन पूर्ववत् जानना चाहिए, यावत् अनन्तवें भाग का आस्वादन करते हैं।
[17--1] Life-span of two-sensed beings (dvindriya jiva) should be + stated. There breathing is indeterminate.
[17—Q. 2] Bhante ! After what interval of time the two-sensed beings 4 have desire for food (intake) ? __ [Ans.] Gautam ! Their desire for involuntary intake arises every moment. The desire for voluntary intake rises indeterminately within one Antar-muhurt of innumerable Samayas (the ultimate fractional unit of time). Further details should be read as aforesaid up to 'taste infinite portion'.
[१७-प्र. ३ ] बेइंदिया णं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताए गेहंति ते किं सव्वे आहारेंति ? नो सब्वे आहारेंति ?
[उ. ] गोयमा ! बेइंदियाणं दुविहे आहारे पण्णत्ते। तं जहा-लोमाहारे पक्खेवाहारे य। जे पोग्गले लोमाहारत्ताए गिण्हंति ते सव्वे अपरिसेसिए आहारेंति। जे पोग्गले पक्खेवाहारत्ताए गिण्हंति तेसिं णं पोग्गलाणं असंखिज्जभागं आहारेंति, अणेगाइं च णं भागसहस्साई अणासाइजमाणाई अफासाइज्जमाणाई विद्धंसमागच्छंति।
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| प्रथम शतक : प्रथम उद्देशक
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First Shatak : First Lesson
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