Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 501
________________ 2555 55 555 5555555 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 2 திதிசுதத********மிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிழ 5 卐 卐 卐 काल तुल्य हैं और (पूर्वोक्त काल से) संख्येयगुणा अधिक है । ( इसी तरह) चमरेन्द्र का ऊपर जाने का और वज्र का नीचे जाने का काल, ये दोनों काल तुल्य हैं और (पूर्वोक्त काल से) विशेषाधिक हैं। 40. [Q.] Bhante ! Of the time taken in downward movement and upward movement by Vajra, master of Vajra (Shakrendra) and Chamarendra, the overlord (Indra) of Asurs, which one is comparatively less, which one is more, which one is equal and which one is much more (more than double ) ? [Ans.] Gautam ! The time taken in upward movement by Shakrendra and downward movement by Chamarendra are equal and minimum. The time taken in downward movement by Shakrendra and upward movement by Vajra are equal and countable times more (than the aforesaid). In the same way time taken in upward movement by Chamarendra and downward movement by Shakrendra are equal and much more (than the aforesaid). विवेचन : संख्येय, तुल्य और विशेषाधिक का स्पष्टीकरण-शक्रेन्द्र जितना नीचा दो समय में जाता है, उतना ही ऊँचा एक समय में जाता है। अर्थात् शक्रेन्द्र एक समय में नीचे एक योजन, तिरछा डेढ़ योजन और ऊपर दो योजन जाता है। फ्र इसी प्रकार शक्रेन्द्र की ऊर्ध्वगति और चमरेन्द्र की अधोगति बराबर बतलाई गई है, उसका तात्पर्य यह है कि शक्रेन्द्र एक समय में दो योजन ऊपर जाता है तो चमरेन्द्र भी एक समय में दो योजन नीचे जाता है । किन्तु शक्रेन्द्र, चमरेन्द्र और वज्र के केवल ऊर्ध्वगति क्षेत्र - काल में तारतम्य है । अर्थात् शक्रेन्द्र एक समय में जितना • क्षेत्र ऊपर जाता है, उतना क्षेत्र ऊपर जाने में वज्र को दो समय और चमरेन्द्र को तीन समय लगता है। वज्र की नीचे जाने में गति मन्द होती है, तिरछे जाने में शीघ्रतर और ऊपर जाने में शीघ्रतम होती है। इसलिए 5 वज्र का अधोगमन क्षेत्र त्रिभागन्यून योजन, तिर्यग्गमन क्षेत्र विशेषाधिक दो भाग = त्रिभाग-सहित तीन गाऊ और ऊर्ध्वगमन क्षेत्र विशेषाधिक दो भाग तिर्यक् क्षेत्रकथित विशेषाधिक दो भाग-से कुछ विशेषाधिक होता है। चमरेन्द्र एक समय में जितना नीचे जाता है, उतना ही नीचा जाने में शक्रेन्द्र को दो समय और वज्र को 5 तीन समय लगते हैं। (चूर्णिकार, भगवती. अ. वृत्ति, पृष्ठ १७८ ) Elaboration-Clarification about countable times, equal and much more-The distance covered by Shakrendra during downward movement in two Samayas is equal to that covered during upward movement in one Samaya. For example-In one Samaya Shakrendra covers a distance of one Yojan downward, one and a half Yojan in transverse direction and two Yojans upward. The upward speed of Shakrendra and the downward speed of Chamarendra is said to be equal. It means if Shakrendra goes two Yojans upward in one Samaya, Chamarendra goes two Yojans downward in one तृतीय शतक : द्वितीय उद्देशक (435) Jain Education International फफफफफफफ Third Shatak: Second Lesson For Private & Personal Use Only फफफफफफफफफफफफफफफ 卐 www.jainelibrary.org

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