Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 535
________________ 卐55555555555555555555)))))))))))))) 9415555555555555555555555555 effort but with those of others. It moves either in the shape of a raised # flag or a downcast flag. ९.[प्र. ] से भंते किं बलाहए, इत्थी ? [उ. ] गोयमा ! बलाहए णं से, णो खलु सा इत्थी। एवं पुरिसे, आसे, हत्थी। ९. [प्र. ] भगवन् ! उस समय वह बलाहक क्या स्त्री है ? _[उ. ] गौतम ! वह बलाहक (मेघ) है, स्त्री नहीं है। इसी तरह बलाहक पुरुष, अश्व या हाथी नहीं + है; (किन्तु बलाहक है।) ऊ 9.[Q.] Bhante ! At that time is that balahak (cloud) a woman ? (Ans.] Gautam ! It is balahak (cloud) and not a woman. In the same 5 way it is not man, horse or elephant (but cloud). १०. [प्र. ] पभू णं भंते ! बलाहए एगं महं जाणरूवं परिणामेत्ता अणेगाइं जोयणाई गमित्तए ? म [उ. ] जहा इत्थिरूवं तहा भाणियव्वं । णवरं एगओ चक्कवालं पि, दुहओ चक्कवालं पि भाणियव्वं । जुग्ग-गिल्लि-थिल्लि-सीया-संदमाणियाणं तहेव। १०. [प्र. ] भगवन् ! क्या वह बलाहक, एक बड़े (शकट-गाड़ी) के रूप में परिणत होकर अनेक योजन तक जा सकता है ? [उ.] गौतम ! जैसे स्त्री के सम्बन्ध में कहा, उसी तरह यान के सम्बन्ध में भी कहना चाहिए। परन्तु इतनी विशेषता है कि वह यान के एक ओर चक्र (पहिया) वाला होकर भी चल सकता है और 卐 दोनों चक्र वाला होकर भी चल सकता है। इसी तरह युग्य, गिल्ली, थिल्ली, शिविका और स्यन्दमानिका के रूपों के सम्बन्ध में भी जानना चाहिए। 4i 10. (Q.) Bhante ! Can that cloud, transformed into a large vehicle, i travel many Yojans ? (Ans.) Gautam ! What has been said in context of woman should be repeated for vehicle. The difference is that it can move with wheels on one side as well as with wheels on both sides. The same should be repeated for yugya (a cart drawn by some one), gilli (howdah on an : elephant), thilli (chariot or buggy), shivika (palanquin), or syandamanika (large palanquin). विवेचन : बलाहक-आकाश में अनेकों रूपों में दृश्यमान मेघ अजीव होने से उनमें विकुर्वणा (रूप-निर्माण) शक्ति नहीं है, किन्तु स्वभावतः रूप-परिणमन मेघों में भी होता है। इसीलिए यहाँ 'विउवित्तए' शब्द के बदले परिणमेत्तए' शब्द दिया गया है। मेघ स्त्री आदि अनेक रूपों में परिणत होकर, अचेतन होने से आत्म-ऋद्धि, + आत्म-कर्म और आत्म-प्रयोग से गति न करके, वायु, देव आदि से प्रेरित होकर पर-ऋद्धि, पर-कर्म और पर-प्रयोग से अनेक योजन तक गति कर सकता है। 555555555555555555555555555))))))))))))))))))) * elepham $$乐听听听听听听听听听听 तृतीय शतक : चतुर्थ उद्देशक (465) Third Shatak : Fourth Lesson 5555555555555555555555555554151 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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