Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 595
________________ )) ) 555555555 ) ) 555555555555555 3. IQ.] Bhante ! How many vimaans (celestial vehicles) these Lok-pals i have ? ___ [Ans.] Gautam ! These four Lok-pals have four vimaans—(1) Suman, (2) Sarvatobhadra, (3) Valgu, and (4) Suvalgu. ४. [प्र. ] कहि णं भंते ! ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो सुमणे नामं महाविमाणे पण्णत्ते ? [उ. ] गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जाव ईसाणे णामं कप्पे पण्णत्ते। तत्थ णं जाव पंच वडेंसया पण्णत्ता, तं जहा-(१) अंकवडेंसए, (२) फलिहवडिंसए, (३) रयणवडेंसए, (४) जायरूववडेंसए, (५) मझे ईसाणवडेंसए। ___तस्स णं ईसाणवडेंसयस्स महाविमाणस्स पुरथिमेणं तिरियमसंखेज्जाई जोयणसहस्साई वीतिवतित्ता तत्थ णं ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो सुमणे नाम महाविमाणे पण्णत्ते, अद्धतेरसजोयण० जहा सक्कस्स वत्तव्यया तइयसए तहा ईसाणस्स वि जाव अच्चणिया समत्ता। ४. [प्र. ] भगवन ! देवेन्द्र देवराज ईशान के लोकपाल सोम महाराज का 'सुमन' नामक ॥ __ महाविमान कहाँ है ? ॐ [उ. ] गौतम ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप के मन्दर पर्वत के उत्तर में इस रत्नप्रभा पृथ्वी के समतल भूभाग ऊपर से, यावत् ईशान नामक कल्प (देवलोक) है। उसमें पाँच अवतंसक हैं-(१) अंकावतंसक, ॐ (२) स्फटिकावतंसक, (३) रत्नावतंसक, और (४) जातरूपावतंसक; तथा चारों अवतंसकों के मध्य में (५) ईशानावतंसक है। उस ईशानावतंसक नामक महाविमान से पूर्व में तिरछी दिशा में असंख्येय हजार म योजन आगे जाने पर देवेन्द्र देवराज ईशान के लोकपाल सोम महाराज का 'सुमन' नामक महाविमान है। उसकी लम्बाई और चौड़ाई साढ़े बारह लाख योजन है। इत्यादि सारी वक्तव्यता तृतीय शतक के सप्तम उद्देशक, सूत्र ४ में कथित शक्रेन्द्र (के लोकपाल सोम के महाविमान) की वक्तव्यता के समान यहाँ, भी ईशानेन्द्र के सम्बन्ध में यावत्-अर्चनिका तक कहनी चाहिए। ___ 4. [Q.] Bhante ! What is the location of the mahavimaan (great celestial vehicle) named Suman belonging to Soma Maharaj, the Lok-pal of Devendra Shakra, the overlord of gods? [Ans.] Gautam ! To the north of Mandar (Meru) mountain in the continent called Jambu Dveep, over the level land of this Ratnaprabha Prithvi... and so on up to... there is the divine realm (kalp) called Ishan. In it there are five Avatamsaks (great celestial vehicles or abodes) (1) Ankavatamsak, (2) Sfatikavatamsak, (3) Ratnavatamsak, (4) Jaatrupavatamsak and in the center (5) Ishanavatamsak. To the east of that Ishanavatamsak Mahavimaan, on going innumerable Yojans away in transverse direction, comes the mahavimaan (great celestial )))))))5555555 ज卐555555 )))))) ध चतुर्थ शतक : प्रथम-द्वितीय-तृतीय-चतुर्थ उद्देशक (523) Fourth Shalak : First-Second-Third-Fourth Lesson Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662