Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 654
________________ நிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமி********************** १५. सचित्र भगवती सूत्र (भाग १ ) मूल्य ६००/पंचम अंग व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र 'भगवती' के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। इसमें जीव, द्रव्य, पुद्गल, परमाणु, लोक आदि चारों अनुयोगों से सम्बन्धित हजारों प्रश्नोत्तर हैं। यह विशाल आगम जैन तत्त्व विद्या का महासागर है। संक्षिप्त और सुबोध अनुवाद व विवेचन के साथ यह आगम लगभग ६ भाग में पूर्ण होने की सम्भावना है। प्रथम भाग में केवल १ से ४ शतक तक तथा १५ रंगीन चित्रों सहित प्रकाशित है। सम्भवतः इस सूत्र का प्रथम बार अंग्रेजी में विस्तृत अनुवाद किया जा रहा है। ப ப व्यवहार- ये तीन छेद सूत्र सभी श्रमण - श्रमणियों के लिए विशेष पठनीय हैं। प्रस्तुत भाग में तीनों छेद सूत्रों का भाष्य आदि के आधार पर विवेचन है । अंग्रेजी अनुवाद के साथ १५ रंगीन चित्रों सहित प्रकाशित है। O इस प्रकार १९ जिल्दों में २२ आगम तथा कल्प सूत्र प्रकाशित हो चुके हैं। प्राकृत अथवा हिन्दी का साधारण ज्ञान रखने वाले व्यक्ति भी अंग्रेजी माध्यम से जैनशास्त्रों का भाव, उस समय की आचार-विचार प्रणाली आदि को अच्छी प्रकार से समझ सकते हैं । अंग्रेजी शब्द कोष भी दिया गया है। पुस्तकालयों, ज्ञान- भण्डारों तथा संत-सतियों, स्वाध्यायियों के लिए विशेष रूप से संग्रह करने योग्य आगमों का यह प्रकाशन कुछ समय पश्चात् दुर्लभ हो सकता है। इस आगममाला के प्रकाशन में परम श्रद्धेय उत्तर भारतीय प्रवर्त्तक गुरुदेव भण्डारी श्री पद्मचन्द्र जी म. की अत्यन्त बलवती प्रेरणा रही है। उनके शिष्यरत्न जैन शासन दिवाकर आगमज्ञाता उत्तर भारतीय प्रवर्तक श्री अमर मुनि जी म. द्वारा सम्पादित है, इनके सह-सम्पादक हैं प्रसिद्ध विद्वान् श्रीचन्द सुराना । अंग्रेजी अनुवादकर्त्ता हैं श्री सुरेन्द्र बोथरा तथा सुश्रावक श्री राजकुमार जी जैन । परिशिष्ट (580) Jain Education International फफफफफफफफफफफफ Appendix For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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