Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 566
________________ 卐55555))))))))))))))))))))))))))) vishkambh) is 1.25 million Yojans. Its circumference is slightly more than 39,52,848 Yojans. Other details should be quoted from the description of the vimaan of Suryabh Dev up to anointing (from Rajaprashniya Sutra) with the difference that 'Suryabh Dev' should be changed to 'Soma Dev'. [२] संझप्पभस्स णं महाविमाणस्स अहे सपक्खिं सपडिदिसिं असंखेज्जाइं जोयणसयसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो सोमा नामं रायहाणी पण्णत्ता, एगं जोयणसयसहस्सं आयाम-विक्खंभेणं जंबुद्दीवपमाणा। [३] वेमाणियाणं पमाणस्स अद्धं नेयव्वं जाव उवरियलेणं सोलस जोयणसहस्साई आयामविक्खंभेणं, पण्णासं जोयणसहस्साई पंच य सत्ताणउए जोयणसते किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं पण्णत्ते। पासायाणं चत्तारि परिवाडीओ नेयवाओ। सेसा नत्थि। [४ ] सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो इमे देवा आणा-उववाय-वयण-निद्देसे चिट्ठति, तं जहा-सोमकाइया ति वा, सोमदेवयकाइया ति वा, विज्जुकुमारा विज्जुकुमारीओ, अग्गिकुमारा अग्गिकुमारीओ, वाउकुमारा वाउकुमारीओ, चंदा सूरा गहा नक्खत्त तारारूवा, जे यावण्णे तहप्पगारा सवे ते तब्भत्तिया तप्पक्खिया तब्भारिया सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो आणा-उववायवयण-निद्देसे चिट्ठति। [२] सन्ध्याप्रभ महाविमान के सपक्ष-सप्रतिदेश, अर्थात् ठीक बराबर नीचे, असंख्य लाख योजन आगे (दूर) जाने पर देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल सोम महाराज की सोमा नाम की राजधानी है, जो एक लाख योजन लम्बी-चौड़ी है और जम्बूद्वीप जितनी है। ___ [३] इस राजधानी में जो प्रासाद आदि हैं, उनका परिमाण वैमानिक देवों के प्रासाद आदि के परिमाण से आधा, भवन के पीठबन्ध का आयाम (लम्बाई) और विष्कम्भ (चौड़ाई) सोलह हजार योजन है। उसका परिक्षेप (परिधि) पचास हजार पाँच सौ सत्तानवे योजन से कुछ अधिक है। उसमें प्रासादों की चार पंक्तियाँ हैं, शेष सुधर्मासभा नहीं हैं। [४] देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल-सोम महाराज की आज्ञा में, उपपात (सेवा) में, वचन-पालन में और निर्देश में; ये देव रहते हैं, यथा-सोमकायिक (सोमदेवों के परिवार रूप देव) सोमदेवकायिक, विद्युत्कुमार-विद्युत्कुमारियाँ, अग्निकुमार-अग्निकुमारियाँ, वायुकुमार-वायुकुमारियाँ, चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र और तारारूप; ये तथा इसी प्रकार के दूसरे सब उसकी भक्ति करने वाले, उसके पक्ष वाले, उससे भरण-पोषण पाने वाले (भृत्य या उसकी अधीनता में रहने वाले) देव उसकी आज्ञा, सेवा, वचनपालन और निर्देश में रहते हैं। ____ [2] Exactly below (sapaksha-sapratidesh) the Sandhyaprabh Mahavimaan, on going innumerable Yojans is located Somaa, the capital city of Soma Maharaj, the Lok-pal of Devendra Shakra, the overlord of भगवतीसूत्र (१) (496) Bhagavati Sutra (1) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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