Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 564
________________ 095959555595555955555559595955555595555955555$$4ui 卐 卐 卐 तृतीय शतक : सप्तम उद्देशक THIRD SHATAK (Chapter Three): SEVENTH LESSON लोकपाल LOK-PAL (GUARDIANS OF DIRECTIONS) शक्रेन्द्र के लोकपाल LOK-PALS OF SHAKRENDRA १. रायगिहे नगरे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी १. राजगृह नगर में यावत् पर्युपासना करते हुए गौतम स्वामी ने इस प्रकार पूछा 1. In Rajagriha city... and so on up to... Gautam Swami submitted after worship २. [प्र.] सक्कस्स णं भंते! देविंदस्स देवरण्णा कइ लोगपाला पण्णत्ता ? [ उ. ] गोयमा ! चत्तारि लोगपाला पण्णत्ता, तं जहा- सोमे जमे वरुणे वेसमणे । २. [.] भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक्र के कितने लोकपाल हैं ? [ उ.] गौतम ! चार लोकपाल (ये सीमारक्षक व जनता की रक्षा करने वाले देव होते हैं - (१) सोम, 4 (२) यम, (३) वरुण, और (४) वैश्रमण। 또 2. [Q.] Bhante ! How many Lok-pals does Devendra Shakra, the Indra (overlord) of Devs ( gods) have ? [Ans.] He has four Lok-pals (they are protectors and supporters of people as governors of different directions ) – ( 1 ) Soma, (2) Yam, (3) Varun, and (4) Vaishraman. ३. [ प्र. ] एएसि णं भंते ! चउण्हं लोगपालाणं कइ विमाणा पण्णत्ता ? [उ.] गोयमा ! चत्तारि विमाणा पण्णत्ता, तं जहा- संझप्पभे वरसिट्ठे सयंजले वग्गू । ३. [ प्र. ] भगवन् ! इन चारों लोकपालों के कितने विमान हैं ? [ उ. ] गौतम ! इन चारों लोकपालों के चार विमान हैं; जैसे कि (१) सन्ध्याप्रभ, (२) वरशिष्ट, (३) स्वयंज्वल, और (४) वल्गु । [Ans.] Gautam ! These four Lok-pals have four vimaans (1) Sandhyaprabh, (2) Varashisht, (3) Svayamjval, and (4) Valgu. सोमदेव लोकपाल LOK-PALS OF SOMA DEVA भगवतीसूत्र (१) Jain Education International 또 3. [Q.] Bhante ! How many vimaans (celestial vehicles) these f Lok-pals have? (494) फफफफफफफुंॐ के के केके भনप्रনप्रননননशशकककककककककक ककककककक திமிதிததமி****************************55 Bhagavati Sutra (1) For Private & Personal Use Only 또 Y y y y 4 ५ ४. [ प्र. 9 ] कहि णं भंते ! सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो संझप्पभे णामं 5 महाविमाणे पण्णत्ते ? 4 4 Y 4 फ्र फ्र 卐 www.jainelibrary.org

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