Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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मेघ का विविध रूपों में परिणमन TRANSFORMATION OF CLOUD
७. [प्र. ] पभू णं भंते ! बलाहए एगं महं इत्थिरूवं वा जाव संदमाणियरूवं वा परिणामेत्तए ? [ उ. ] हंता, पभू। ८. [प्र. १ ] पभू णं भंते ! बलाहगं एगं महं इत्थिरूवं परिणामेत्ता अणेगाइं जोयणाइं गमित्तए ? [उ. ] हंता, पभू।
७. [प्र. ] भगवन् ! क्या बलाहक (मेघ) एक बड़ा स्त्रीरूप यावत् स्यन्दमानिका (म्याने) रूप में परिणत होने में समर्थ है ?
[उ. ] हाँ, गौतम ! ऐसा करने में समर्थ है।
८. [प्र. १ ] भगवन् ! क्या बलाहक एक बड़े स्त्रीरूप में परिणत होकर अनेक योजन तक जाने में समर्थ है ?
[उ. ] हाँ, गौतम ! वह वैसा करने में समर्थ है।
7. [Q.] Bhante ! Is a balahak (cloud) capable of transmuting (vikurvana) into the following forms-agiant woman... and so on up to... syandamanika (large palanquin)?
[Ans.] Yes, Gautam ! It is capable of doing that.
8. [Q. 1] Bhante ! Is a balahak (cloud) transmuting into a giant woman... and so on up to... syandamanika (large palanquin) capable of travelling a distance of many Yojans ?
[Ans.] Yes, it is capable. [प्र. २ ] से भंते ! किं आयड्ढीए गच्छइ, परिड्ढीए गच्छइ ?
[उ. ] गोयमा ! नो आयड्ढीए गच्छति, परिड्ढीए गच्छइ। एवं नो आयकम्मुणा, परकम्मुणा। नो आयपयोगेणं, परप्पयोगेणं ऊसितोदयं वा गच्छइ पयओदयं वा गच्छइ।
[प्र. २ ] भगवन् ! क्या वह मेघ अपनी ऋद्धि से गति करता है या पर-ऋद्धि से।
[उ. ] गौतम ! वह अपनी ऋद्धि से गति नहीं करता, पर-ऋद्धि से गति करता है। इसी तरह वह आत्म-कर्म से और आत्म-प्रयोग से गति नहीं करता, किन्तु पर-कर्म से और पर-प्रयोग से गति करता है। वह उच्छ्रित पताका अथवा पतित पताका दोनों में से किसी एक के आकार रूप से गति करता है।
[Q. 2] Bhante ! Does that balahak (cloud) move with its own power or that of others ?
[Ans.] Gautam ! It does not move with its own power but with that of others. In the same way it does not move with its own karma and its own
भगवतीसूत्र (१)
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Bhagavati Sutra (1)
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