Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 521
________________ फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ 卐 5 फ्र [उ.] मण्डितपुत्र ! एक जीव की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट देशोन पूर्वकोटि-काल 5 इतना प्रमत्तसंयम का काल होता है। अनेक जीवों की अपेक्षा सर्वकाल (सर्वाद्धा) होता है । 卐 15. [Q.] Bhante ! What is the complete duration of negligent restraint 5 (pramatt samyam) of an accomplished but negligent (pramatt samyat) ascetic ? [उ. ] मंडियपुत्ता ! एगजीवं पडुच्च जहन्त्रेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी देसूणा । णाणाजीवे पडुच्च सव्वद्धं । [Ans.] Mandit-putra! With reference to a single being the complete duration of negligent restraint (pramatt samyam) is minimum one 卐 Samaya and maximum slightly more than one Purva-koti (a metaphoric unit of time). With reference to many beings it is all-time (sarvaddha ). १६. [प्र.] अप्पमत्तसंजयस्स णं भंते ! अप्पमत्तसंजमे वट्टमाणस्स सव्वा वि य णं अप्पमत्तद्धा कालतो केवच्चिरं होति ? सेवं भंते ! २त्ति भगवं मंडियपुत्ते अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । १६. [ प्र. ] भगवन् ! अप्रमत्तसंयम का पालन करते हुए अप्रमत्तसंयमी का सब मिलाकर अप्रमत्तसंयमकाल कितना होता है ? 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है !' यों कहकर भगवान मण्डितपुत्र अनगार श्रमण भगवान महावीर स्वामी को वन्दन - नमस्कार करते हैं। वन्दन - नमस्कार कर वे संयम और तप से अपनी आत्मा को भावित करते हुए विचरण करने लगे । 16. [Q.] Bhante ! What is the complete duration of non-negligent (alert) restraint (apramatt samyam) of an accomplished and alert (apramatt samyat) ascetic ? [Ans.] Mandit-putra ! With reference to a single being the complete duration of negligent restraint (pramatt samyam) is minimum one Antarmuhurt (less than 48 minutes) and maximum slightly more than one Purva-koti (a metaphoric unit of time). With reference to many beings it is all-time (sarvaddha). [उ. ] मण्डितपुत्र ! एक जीव की अपेक्षा जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट देशोन पूर्वकोटि होता है। फ्र अनेक जीवों की अपेक्षा सर्वकाल होता है। "Bhante! Indeed that is so. Indeed that is so." With these words... and so on up to... ascetic Gautam resumed his activities. तृतीय शतक : तृतीय उद्देशक 25559555 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 555955 5 5 5 5 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 55492 (455) Jain Education International फफफफफफफफफफफफफफ Third Shatak: Third Lesson For Private & Personal Use Only 卐 卐 卐 www.jainelibrary.org

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