Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 449
________________ 55 55555555折$$$$ $$ $$$ $$$$$$$$听听听听听听听听听听听听听hhhhh म तिलमिला उठे और तत्काल वे सब बलिचंचा राजधानी के बीचोंबीच होकर निकले, यावत् उत्कृष्ट देवगति से इस जम्बूद्वीप में स्थित भरतक्षेत्र की ताम्रलिप्ती नगरी के बाहर, जहाँ तामली बाल-तपस्वी का शव (मृत शरीर) (पड़ा) था वहाँ आये। उन्होंने (तामली बाल-तपस्वी के मृत शरीर के) बायें पैर को रस्सी से बाँधा, फिर तीन बार उसके मुख में थूका। ॐ तत्पश्चात् ताम्रलिप्ती नगरी के शृंगाटकों-त्रिकोण मार्गों (तिराहों) में, चौकों में, प्रांगण में, चतुर्मुख मार्ग में तथा महामार्गों में; अर्थात् ताम्रलिप्ती नगरी के सभी प्रकार के मार्गों में उसके शव को घसीटा; ॐ अथवा इधर-उधर खींचतान की और जोर-जोर से चिल्लाकर उद्घोषणा करते हुए इस प्रकार कहने + लगे-‘स्वयमेव तापस का वेश (ग्रहण) कर 'प्राणामा' प्रव्रज्या अंगीकार करने वाला यह तामली बाल-तपस्वी हमारे सामने क्या है ? तथा ईशानकल्प में उत्पन्न हुआ देवेन्द्र देवराज ईशान भी हमारे म सामने कौन होता है ?' यों कहकर वे उस तामली बाल-तपस्वी के मृत शरीर की हीलना (अवहेलना), + निन्दा करते हैं, उसे कोसते हैं, उसकी गर्दा करते हैं, उसकी अवमानना, तर्जना और ताड़ना करते हैं ॐ (उसे मारते-पीटते हैं)। उसकी कदर्थना (विडम्बना) और भर्त्सना करते हैं (उसकी बहुत बुरी हालत म करते हैं), अपनी इच्छानुसार उसे इधर-उधर घसीटते हैं। इस प्रकार उस शव की हीलना यावत् मनमानी खींचतान करके फिर उसे एकान्त स्थान में डाल देते हैं। (हीलना से आकड्ढ-विकड्ढ तक १० * विशेषणों से अवज्ञा की चरम उत्कर्षता प्रकट होती है) फिर वे जिस दिशा से आये थे, उसी दिशा में + वापस चले गये। To so 35. At that time numerous Asur Kumar gods and goddesses residing 1 in Balichancha, the capital city, came to know that naive-hermit Tamali has met his end and has reincarnated in Ishan Kalp as king of gods. On getting this news they turned blind with anger, became very angry, their faces became fierce with anger, they lost their composure due to seething rage. They at once moved through the heart of the capital city Balichancha... and so on up to... with their fast divine speed they arrived where the dead-body of naive-hermit Tamali was lying outside in Tamralipti city in Bharat-varsh in Jambu continent. They tied a rope to the left foot (of the dead-body of naive-hermit Tamali) and spat thrice in its mouth. After that they pushed and dragged the body through triangles, where three roads meet, squares, courtyards, where four roads cross and highways; in other words, through all roads and streets of Tamralipti city. While doing that they uttered loudly the following pronouncement"When compared with us where does that naive-hermit Tamali, who, on his own, accepted Pranama initiation, stand ? Also, what is that fi Devendra Ishan the Indra (overlord) of Devs (gods) as compared to us ?” P So shouting, they insulted, decried, cursed, reproached, denounced, )))))))))))))5555 ))))))))))) ))) तृतीय शतक : प्रथम उद्देशक (387) Third Shatak : First Lesson 3555555555555555955555555555555558 卐 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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