Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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तृतीय शतक : द्वितीय उद्देशक THIRD SHATAK (Chapter Three) : SECOND LESSON
चमर CHAMAR
उपोद्घात द्वितीय उद्देशक में बताया है कि राजगृह में भगवान महावीर विराजमान थे। अपनी सुधर्मा सभा में चमरसिंहासन-स्थित चमरेन्द्र ने वहीं से भगवान को देखा और अपने समस्त देव परिवार के साथ ईशानेन्द्र की तरह भगवान महावीर और गौतमादि श्रमणवर्ग को विविध नाट्यविधि दिखलाई। वन्दना नमस्कार करके वापस चला गया। चमरेन्द्र के आगमन से और उसकी दिव्य ऋद्धि आदि पर से प्रश्नों और उत्तरों का प्रारम्भ होता है।
INTRODUCTION The second lesson starts with the information that Bhagavan Mahavir was staying in Rajagriha. Chamarendra saw him from his throne in his Sudharma Sabha (main assembly). He descended with his retinue and displayed a variety of his dances and dramas. He returned after paying homage. This incident inspired a series of questions and answers.
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१. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नगरे होत्था जाव परिसा पज्जुवासइ।
१. उस काल, उस समय में राजगृह नाम का नगर था। श्रमण भगवान महावीर वहाँ पधारे और क परिषद् पर्युपासना करने लगी।
1. During that period of time there was a city called Rajagriha. 4i Shraman Bhagavan Mahavir arrived there... and so on up to... People
commenced worship. म २. तेणं कालेणं तेणं समएणं चमरे असुरिंदे असुरराया चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए
चमरंसि सीहासणंसि चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सीहिं जाव नट्टविहिं उवदंसेत्ता जामेव दिसिं पाउन्भूए तामेव दिसिं पडिगए।
२. उस काल, उस समय में चौंसठ हजार सामानिक देवों से परिवृत, चरमचंचा नामक राजधानी ॐ की सुधर्मासभा में चमर नामक सिंहासन पर बैठे असुरेन्द्र असुरराज चमर ने (राजगृह में विराजमान 9 भगवान महावीर को देखा); यावत् नाट्यविधि दिखलाकर जिस दिशा से आया था, उसी दिशा में वापस ॐ चला गया।
2. During that period of time Chamarendra, the overlord (Indra) of Asurs, sitting on his throne called Chamar and surrounded by sixty four
| तृतीय शतक : द्वितीय उद्देशक
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Third Shatak : Second Lesson
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