Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 472
________________ 步步牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙$$$$$$$$$$$$$ pleasures with those goddesses. However, in case those goddesses (Vaimanik) do not like them (Asur Kumar gods) and do not accept them as their mates, then those Asur Kumar gods cannot enjoy divine pleasures with those goddesses. Gautam ! For that reason Asur Kumar Devs have gone and will go up to Saudharma Kalp ? विवेचन : (सूत्र १३ में) यहाँ सौधर्मकल्प तक जाने के तीन कारण बताये हैं-(१) भव प्रत्ययिक वैर, (२) दूसरे देवों की देवियों के साथ भोग भोगने की इच्छा, और (३) सौधर्मकल्प के छोटे-मोटे रत्नों को चुराने की के लालसा। जो आत्मरक्षक देव शस्त्र लिए सदा इन्द्र के पीछे खड़े रहते हैं, उन्हें विचित्र रूप बनाकर संत्रस्त करने के म लिए भी असुरदेव सौधर्मकल्प में जाते हैं। आगे इसी शतक के सूत्र ४४ में चमरेन्द्र का सौधर्मकल्प में जाने का एक # हेतु और बताया है-वहाँ के शक्रेन्द्र को अपनी दिव्य देव-ऋद्धि दिखाने के लिए तथा उनकी दिव्य देव-ऋद्धि देखने ॐ के लिए। अर्थात् दिव्य ऋद्धि का दर्शन और प्रदर्शन भी सौधर्मकल्प में जाने का एक हेतु होता है। Elaboration—(aphorism-13) Here three main reasons for Asur Kumar 4 gods going to Saudharm Kalp have been mentioned-(1) inborn animosity, (2) desire of enjoying divine pleasures with consorts of other gods, and (3) longing to steal ordinary gems from Saudharm Kalp. They also go to Saudharma Kalp to frighten the guard-gods who stand equipped with weapons behind Indra, by creating bizarre forms. In aphorism-44 of this chapter an additional reason for Chamarendra's visit to Saudharma Kalp is mentioned-For showing his divine opulence to y Shakrendra and witnessing Shakrendra's divine opulence. This means that display and witnessing of divine opulence is also one reason for a visit to Saudharma Kalp. १४. [प्र. ] केवइयकालस्स णं भंते ! असुरकुमारा देवा उड्ढे उप्पयंति जाव सोहम्मं कप्पं गया य, गमिस्संति य। [उ. ] गोयमा ! अणंताहिं ओसप्पिणीहि अणंताहिं उस्सप्पिणीहिं समतिक्कंताहि, अत्थि णं एस भावे लोयच्छेरयभूए समुप्पज्जइ, जं णं असुरकुमारा देवा उड्ढं उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो। १४. [प्र. ] भगवन् ! कितने काल में (कितना समय व्यतीत होने पर) असुरकुमार देव ऊर्ध्वगमन करते हैं तथा सौधर्मकल्प तक ऊपर गये हैं, जाते हैं और जायेंगे ? [उ. ] गौतम ! अनन्त उत्सर्पिर्णी काल और अनन्त अवसर्पिणी काल व्यतीत होने के पश्चात् लोक ऊ में आश्चर्यजनक यह प्रसंग आता है कि असुरकुमार देव ऊर्ध्वगमन करते हैं तथा सौधर्मकल्प तक + ऊपर गये हैं, जाते हैं और जायेंगे? 14. [Q.] Bhante ! After how much time Asur Kumar Devs did, do and will move upwards and go up to Saudharma Kalp ? भगवतीसूत्र (१) (410) Bhagavati Sutra (1) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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