Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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द्वितीय शतक: प्रथम उद्देशक | SECOND SHATAK (Chapter Two) : FIRST LESSON
प्राथमिक परिचय INTRODUCTION द्वितीय शतक के दस उद्देशकों का नाम-निरूपण NAMES OF THE TEN LESSONS १. ऊसास खंदए वि य समुग्धाय २ पुढवी ३ इंदिय ४ णियंठ (अण्ण उत्थि) ५ भासा य ६ ।
देवा य ७ चमरचंचा ८, समयक्खित्त ९ ऽथिकायं १० बीयसए। १. भगवतीसूत्र का यह द्वितीय शतक है। इसके भी दस उद्देशक हैं। उनके नाम क्रमशः इस प्रकार हैं
गाथार्थ-द्वितीय शतक में दस उद्देशक हैं। उनमें क्रमशः इस प्रकार विषय हैं-(१) श्वासोच्छ्वास और स्कन्दक अनगार, (२) समुद्घात, (३) पृथ्वी, (४) इन्द्रियाँ, (५) निर्ग्रन्थ, (किसी-किसी प्रति में 'अन्य यूथिक' पाठ है) (६) भाषा, (७) देव, (८) चमरचंचा, (९) समयक्षेत्र का स्वरूप, (१०) अस्तिकाय का विवेचन। ___ 1. This is the second chapter (shatak) of Bhagavati Sutra. This too
ten lessons with the following titles-- ____The verse-The second shatak (chapter) has ten uddeshaks (lessons). They contain the following topics in this order—(1) Shvasochchhvas (Respiration) and Skandak Anagar, (2) Samudghaat (Bursting forth of soul-space-points), (3) Prithvi (Worlds), (4) Indriya (Sense organs), (5) Nirgranth (ascetics) (in some copies it is Anya Yuthik or heretics), (6) Bhasha (Language), (7) Dev (Divine beings), (8) Chamarachancha, (9) Samayakshetra (area inhabited by humans), and (10) Astikaya (conglamorative ontological category; fundamental entities).
Pateitzegater SHVASOCHCHHVAS (RESPIRATION)
एकेन्द्रियादि जीवों में श्वासोच्छ्वास RESPIRATION IN ONE-SENSED AND OTHER BEINGS
२. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णाम नगरे होत्था। वण्णओ। सामी समोसढे। परिसा निग्गया। धम्मो कहिओ। परिसा पडिगया।
२. उस काल उस समय में राजगृह नामक नगर था। भगवान महावीर स्वामी (वहाँ) पधारे। उनका धर्मोपदेश सुनने के लिए परिषद् निकली। भगवान ने धर्मोपदेश दिया। धर्मोपदेश सुनकर परिषद् वापस लौट गई।
द्वितीय शतक: प्रथम उद्देशक
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Second Shatak: First Lesson
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