Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 446
________________ 4555555555555555555555555555555555 | चित्र परिचय-९ | Illustration No.9 तामली तापस (२) तप का संकल्प लेकर कह नदी के किनारे पर अपनी चटाई बिछाकर सूर्य के सन्मुख खड़ा हो जाता। अपना कमण्डलु, अंकुश, पादुका आदि उतार कर दूर रख देता है। तप करते हुए बहुत दीर्घ काल व्यतीत हो गया। कठोर तपश्चरण से उसका शरीर अत्यन्त कृश (क्षीण) हो गया। तब अपनी मृत्यु का समय निकट जानकर वह नदी तट पर एकान्त स्थान पर गया। अपना आसन, कमण्डलु, पादुका आदि एक तरफ रखकर आहार-पानी का सर्वथा त्यागकर पादपोपगमन संथारा ग्रहण कर कटे हुए वृक्ष की भाँति निश्चल लेटकर शुभ भावों में रमण करने लगा। उस समय उत्तर दिशावर्ती असुर कुमारों की बलिचंचा राजधानी इन्द्र विहीन हो गयी थी। इन्द्र का सिंहासन खाली देखकर सभी देवताओं ने चिन्ता प्रकट की-“अब हमारा स्वामी कौन होगा?' तभी उन असुर कुमार देवों ने तामली तपस्वी को कठोर उग्र तपश्चरण करते देखा। परस्पर विचार विनिमय किया- 'यदि इस तपस्वी से आग्रह अनुरोध कर यह संकल्प (निदान) करा दिया जाये, उन्हें वचनबद्ध कर लिया जाये तो वह घोर तपस्वी मनुष्य आयु पूर्ण कर हमारा स्वामी (असुरकुमारेन्द्र) बन सकता है। देवगण आकर अपना स्वर्गीय दिव्य वैभव-ऋद्धि आदि का प्रदर्शन कर तामली तपस्वी से बलिचंचा के इन्द्र बनने का संकल्प लेने की प्रार्थना कर रहे हैं। --शतक ३. उ. १, सूत्र ३०-३१ TAMALI TAPAS (2) After taking the vow of penance he spread his mattress on the bank of a river and stood facing the sun. He placed aside his bowl, lance, slippers etc. He continued his penance for a very long period. As a consequence of the harsh penance he became very weak. Realizing that his end was near, he deposited his belongings in a corner and abandoning food and water completely, he embraced the padapopagaman santhara. Lying still like a broken branch of tree, he embraced pious thoughts. At that time Balichancha, the capital city of northern Asur Kumar gods was without an overlord. Seeing this, Asur Kumar gods were worried-“Who is going to be our lord now?" Just then they saw hermit Tamali indulging in rigorous penance and deliberated—“If we beseech this hermit to resolve and promise to become our lord, this great hermit could become our lord after completing his life-span as a human being. Arriving there near Tamali the gods are displaying their divine opulence, divine radiance etc. and requesting him to resolve to become their overlord Indra). -Shatak 3, lesson 1, Sutra 30-31 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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